Wednesday 9 December 2015

कानूनी अड़चने खत्म कर परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को रफ्तार देगी सरकार


नई दिल्ली_ मोदी सरकार परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र से जुडी कानूनी अडचनो कोदूर कर इस क्षेत्र को एक नई गति देना चाहती है | सरकार ने इसके लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन करने का फैसला लिया है | इससे न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के लिए सरकारी क्षेत्र की कम्पनियों (पीएसयू) के साथ मिलकर साझा उपक्रम (जेवी) के रूप में परमाणु ऊर्जा परियोजना की स्थापना करने का रास्ता खुल जाएगा | इस तरह सरकार परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के काम को फ़ास्ट ट्रैक पर ला सकेगी | सरकार परमाणु ऊर्जा कानून में बदलाव के जरिये इस क्षेत्र की भागीदारी के लिए दरवाजे खोलने की ओर कदम बढ़ाएगी या नही, यह तो अभी स्पष्ट नही है , पर इतना तय है कि वह परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देकर देश में बिजली के उत्पादन में तेजी से बढोतरी करने का इरादा रखती है | सरकार बिजली उत्पादन के परंपरागत तरीके से आने वाले समय में पर्यावरण को लेकर उभरने वाली चिताओं और क्लाइमेट चेंज पर अंतराष्ट्रीय समझौतो के मानदंडो के पालन को सुनिश्चित करने के लिए अभी से सतर्कता भरा रवैया अपनाने की पक्षधर है | इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा को बढावा देने की नीति पर चल रही है | साथ ही साथ बर्ष २०२० तक देश में चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति के लक्ष्य को पूरा करने के लिए वह परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में भी बढोतरी करना चाहती है | इस सबके लिए कैबिनेट नोट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है | अब इसे विचार-विमर्श के लिए मामले से जुड़े अन्य मंत्रालयों को और प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ) की मंजूरी के भेजा जाएगा | मौजूदा परमाणु ऊर्जा कानून में कई ऐसे प्राबधान है , जो एनपीसआईएल को अन्य पीएसयू के साथ मिलकर परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने में बाधक बने हुए है | इसके अलावा कम्पनी कानून के कई प्रावधानों से जुडी अडचने भी इस दिशा में अवरोध खड़े कर रही है |

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