Saturday 22 August 2015

अकबर

अकबर का जन्म १५४२ ई० मे , हुमायूँ के प्रवास काल के दौरन ,अमरकोट मे हुआ | अकबर की माँ का नाम हमिदावानो था | अकबर का राज्यभिसेक १५५६ ई० मे हुआ | १५६० ई० तक अकबर ने बैरम खा के सनरछण मे शासन किया | बैरम खां को उसका बकील नियुक्त किया गया था | सिंहासन पर बैठते ही अकबर ने बैरम खां की सहायता से १५५६ ई० मे पानीपत के दितीय युद्ध मे हेमू बिक्रमादित्य को पराजित किया | १५६१ ई० अकबर ने बैरम खां के संरछण से मुक्त होकर ,अपने पहले सैन्य अभियान मे मालवा के शासक बाजबहादुर को पराजित किया | १५६४ ई० मे अकबर ने ,जजिया कर , को समाप्त कर दिया | १५७५ ई ० के हल्दीघाटी ‘’ के प्रसिद्ध युद्ध मे अकबर के सेनापति राजा मानसिंह ने मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप को पराजित किया | १५७५ ई ० मे अकबर ने आगरा से ३६ किमी ० दूर फतेहपुर सीकरी नामक नगर की स्थापना की और उसमे प्रवेश के लिए बुलंद दरवाजा बनवाया | बुलंद दरवाजा अकबर ने गुजरात जीतने के उपलब्ध मे बनवाया था | इसी बर्ष अकबर ने फतेहपुर सीकरी मे धार्मिक परीचर्चाओ हेतु इबादतखाने की स्थापना की | १५८२ ई० मे अकबर ने सभी धर्मो के उत्तम सिधान्तो को लेकर तौहीद-ए-इलाही या दीन-ए-इलाही नामक नये धर्म की स्थापना की |अकबर के पुत्र सलीम के बिद्रोह के कारण अकबर के अंतिम दिन दुःख भरे ब्यतीत हुए | १६०५ ई० मे अकबर की म्रत्यु हो गई | अकबर के मकबरे का निर्माण जहाँगीर दुआरा आगरा के निकट सिकंदरा
नामक स्थान पर कराया गया | 

Tuesday 18 August 2015

नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप्प

जैसा हम जानते है नरेन्द्र मोदी हमारे देश इंडिया के प्रधान मंत्री है अपनी आवाज से सबका मन मोहने वाले हमारे देश के प्रधान मंत्री ने  अपनी डिजिटल मौजूदगी को और पुख्ता बनाने की पहल के तहत आज एक  एप्प लांच की है जिसका नाम उन्होंने  ‘नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप्प’ रखा है जिसके माध्यम से वह अपनी जरूरी जानकारी तत्काल अपडेट करने के साथ उनसे सीधा मैसेज और ई मेल प्राप्त करने का भी मौका मिल सकेगा। इस एप्प के माध्यम से वह अपनी बात लोगो तक तुरंत पंहुचा सकेंगे। या यह कह सकते है की  इस एंड्रॉयड आधारित इस एप्लीकेशन का मकसद लोगों को उनसे सीधा संवाद करने का मौका प्रदान करने और विचारों एवं सुझावों को साझा करने का मौका प्रदान करना है।

जब मोदी जी ने इस एेप को लांच किया तो सबसे पहले उन्होंने ट्वीट किया, की ‘‘नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप्प पेश किया। आइए, मोबाइल से जुड़ें रहे। इस मोबाइल एप्प में कई नवोन्मेषी विशेषताएं हैं। आप प्ले स्टोर से इसे डाउनलोड कर सकते हैं। सभी लोग अपने इस बारे में फीडबैक दे सकते है जिसमे सबका स्वागत है।’’

इस एप्लीकेशन के ब्यौरे में कहा गया है, ‘‘इस एप्प को डाउनलोड करें और किसी भी समय और कहीं भी ताजा अपडेट प्राप्त करें। नरेन्द्र मोदी एप्प की विशेषताओं में ताजा समाचार एवं अपडेट प्राप्त करने से लेकर प्रधानमंत्री से सीधे ईमेल और मैसेज प्राप्त करना और प्रधानमंत्री से मन की बात करना शामिल है।’’


क्या है खास बात नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप में  - 

  1. पीएम कर सकते हैं सीधे ही मेल
  2. एक गाने जितना लेगा स्पेस

इस नरेंद्र मोदी एप का कुल स्पेस 4.9 एमबी है यानि की ये  नरेंद्र मोदी एप सिर्फ आपके मोबाइल में ४.९ MB जगह लेगा  यानि यह एप आपके मोबाइल फोन में महज एक एमपी3 गाने जितना ही स्पेस घेरेगा। अभी इस समय एप का यह 1.0.1 वर्जन जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध  है जिसें एंड्रॉयड के 4.0 अथवा उससे अधिक वर्जन वाले गैजेट्स में डाउनलोड किया जा सकता है। जब आप Narendra modi एप को इन्स्टॉल कर लेंगे तब आप देखेंगे की इसमें इंटरेक्ट विद सीएम का ऑप्शन आता है। इसका मतलब आप तुरंत इस ऑप्शन का युस करके आप इनबॉक्स के साथ आप पीएम को मेल लिख सकते हैं। और इसमें आइडिया एंड सजेशन, पीएम के साथ मन की बात समेत पीएम मोदी की सरकार में आने के बाद उपलब्घियों समेत कई सारी जानकारियां ले सकते हैं। इसके अलावा पीएम की तरफ से आने वाले ई-मेल भी यहीं पर दिखते हैं। 

गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध - 
इस एप को गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध कराया गया है, जहां से आप इसे बिल्कुल फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं।

यहां से करें डाउनलोड-
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.narendramodiapp&hl=en


ऎसे करें डाउनलोड और इंस्टॉल
अगर आप नरेन्द्र मोदी एप को आपके फोन में डाउनलोड करना चाहते तो पहले Google Play Store में जाये और नरेन्द्र मोदी एप सर्च करे। लेकिन ये ध्यान रखे नरेन्द्र मोदी एप के नाम से प्ले स्टोर पर नरेंद्र मोदी से कई सरे एप्प मौजूद है ऎसे में सही एप के लिए आप नरेन्द्र मोदी डॉट इन वाले एप को ही देखें। एकबार एप को ओपन करने के बाद एप स्टोर में लॉगइन कर इसे डाउनलोड कर सकते हैं। लॉगइन करने के लिए आप अपने फेसबुक, टि्वटर, गूगल प्लस अथवा एनएम डॉट इन एकाउंट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। एकबार इंस्टॉल करने के बाद इस इस एप का इस्तेमाल कर सकते हैं।


Monday 17 August 2015

रिक्रेशन

रिक्रेशन क्या है जब हम लम्बे समय तक कोई काम करते है तब हम थकान महसूस करते है तो हमे कुछ आराम की आवश्यकता होती है | आराम हमे fresh और active बनता है | अपने खाली समय में हम मस्ती करना और रिलैक्स करना पसंद करते है | यह Recreation कहलाता है |
हम अपने खाली समय में कैसे आनंद उठा सकते है

बच्चे खाली समय में बिभिन्न प्रकार से आनंद उठाते है | कुछ बच्चे अपना होम वर्क ख़त्म होने के लिए pray करते है वे इनडोर गेम्स ,लूडो , स्नेक्स व लैडरस ,कैरम चैस आदि खेलते है | बड़े लोग पत्ते खेलते है | कुछ बच्चे बाहर खेलना पसंद करते है | कुछ बच्चे बाहर खेलना पसंद करते है | वे फुटबाल ,हॉकी और क्रिकेट आदि खेलते है कुछ बच्चे स्टोरी बुक्स और कोम्मिक्स पढ़ने का आनन्द उठाते है | कुछ बच्चे TV पर अपना पसंदीदा प्रोग्राम देखना पसन्द करते है | कुछ बच्चे TV पर गेम्स खेलना पसंद करते है कुछ बच्चे म्यूजिक सुनना पसंद करते है | कभी गांवो में सर्कस होता है | तो बच्चे उसे देखकर आनन्द उठाते  है | म्यूजियम में बिभिन्न चीजे देखते है | हम चिडीयाघर में जानवरों और चिडीयों का खेलना देखते है | त्योहारों में हम बच्चों को मिठाईयां और खिलौने खरीदते हुये नजर आते है | सिनेमा गावों में इन रिक्रिएशन  का अच्छा अर्थ है बच्चे सिनेमा हाल में फिल्मे देखने का आनन्द उठाते है | बच्चे पिकनिक जाना भी पसंद करते है | वे यहाँ अपने परिवार तथा मित्रों के साथ खेलना खाना और मस्ती करते है | बच्चे लम्बी छुट्टियों में पहाड़ी जगहों या और जगह का आनन्द उठाते है | रिक्रिएशन हमारे स्वास्थ्य और ख़ुशी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है |

ईश्वर

हम भगवान की   प्राथना खुद को सुरक्षित और खुश रखने के लिए करते है और खुद को अच्छा इन्सान बनाने के लिए करते है | हम इन सबके लिए ईश्वर का धन्यबाद करते है | कि वो हमे सब देता है | लोग बिभिन्न धर्म के होते है | वे ईश्वर की पूजा बिभिन्न प्रकार से करते है | प्रशांत के बहुत से मित्र आसिफ जाहन और गुरमीत आदि है | प्रशांत हिन्दू है आसिफ मुस्लिम ,जाहन , क्रिस्चियन तथा गुरमीत सिकख है | हिन्दू मन्दिर में पूजा करते है | वे मिठाईयां और फूल बिभिन्न भगवानो को चढाते है | भगवान जैसे राम , क्रिशन और शिवा मुख्य भगवान है |दुर्गा और लक्ष्मी मुख्य भगवान है | रामायण और भागवत गीता हिन्दुओ की पवित्र ग्रन्थ है | क्रिश्चयन चर्च जाते है | और जीजस क्राइस्ट की प्राथना करते है | उनकी पवित्र ग्रन्थ बाइबिल है | मुस्लिम मज्जिदो में पूजा करते है | वे एक दिन में पांच वार नुमाज अदा करते है \ उनकी पवित्र ग्रन्थ कुरान है | ‘’ गुरु ग्रन्थ साहिब है | ‘’ वे गुरुवाणी हिम्नस गाते है | जैन ‘’ लार्ड महाविरा की पूजा करते है | बुद्ध लार्ड बुद्ध की पूजा करते है | पारसिस पारसी पूजा करते है , मन्दिर में | हम सब पूजा करते है | हम सब भगवान की पूजा बिभिन्न स्थानों पर भिन्न प्रकार से करते है | लेकिन हम सब एक ही भगवान को पूजते है | हमे सभी धर्मो को आदर देना चाहिए |

Saturday 8 August 2015

चाय

चाय
इतिहास
चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है। सबसे पहले सन् १८१५ में कुछ अंग्रेज़ यात्रियों का ध्यान  असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय क़बाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे। भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने १८३४ में चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद १८३५ में  असम में चाय के बाग़ लगाए गए । हमारे दैनिक प्रयोग में आने वाली चाय एक चौड़ी पत्ती वाली सदाबहार झाड़ी है | चाय के उत्पादन में भारत विश्व में अग्रणी है और यहाँ से सबसे अधिक चाय बाहर भेजी जाती है | चाय की खेती के लिए सामान्यतः उष्ण-आद्र जलवायु आवश्यक होती है |  इसकी खेती के लिए लगभग २५ ० सेग्रे का तापमान ३० ० सेग्रे का तापमान तथा १५० सेमी से अधिक बर्षा होनी चाहिए | चाय की झाड़ीयों की जड़ों में पानी इकट्ठा नही होना चाहिए | इसलिए चाय के बागान  पहाड़ी ढालों पर लगाये जाते है | चाय की पत्तीयों को चुनने , सूखाने और डिब्बों में भरने के लिए काफी सस्ते मजदूरों की आवश्यकता होती है | दशिणी भारत में नीलगिरी ,अन्नामलाई की पहाडीयों में चाय पैदा की जाती है | भारत की चाय विश्व में उच्च कोटि की मानी जाती है | ग्रेट ब्रिटेन हमारी चाय का मुख्य ग्राहक है| अन्य ग्राहक फ्रांस ,कनाडा ,संयुक्त राज्य अमेरिका ,ऑस्ट्रेलिया ,न्यूजीलैंड आदि है | चाय के निर्यात से प्रति बर्ष भारत को काफी विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है |

उत्पादन
वर्ष २००३ तक पूरे विश्व में चाय का उत्पादन ३.१५ मिलियन टन वार्षिक था। प्रमुख उत्पादक देशों में  भारत, तथा उसके बाद चीन का स्थान था | अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में श्रीलंका एवं कीनिया इसके बाद महत्त्वपूर्ण स्थान 
रखते हैं। चीन ही अभी एकमात्र ऐसा देश है जो लगभग हर तरह की चाय का बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन करता है।






जूट

जूट
जूट एक  द्विबीजपत्री रेशेदार पौधा है। इसका तना पतला और बेलनाकार होता है। जूट के रेशे से बोरे, हेसियन तथा पैंकिंग के कपड़े बनते हैं। कालीन, दरियाँ, परदे, घरों की सजावट के सामान, अस्तर और रस्सियाँ भी बनती हैं।  जूट के लिए उष्ण-आद्र जलवायु अधिक उपयुक्त है | तापमान लगभग २३ ० C होना चाहिए इसके लिए २०० सेमी से २५० सेमी बर्षो की आवश्यकता होती है | जूट उगाने के लिए सस्ता और प्रचुर श्रम अपेक्षित है क्यूंकि जूट की बुबाई से इसका रेशा प्राप्त करने तक की प्रक्रिया में पर्याप्त श्रम की आवश्यकता पड़ती है | संसार में भारत का स्थान जूट उत्पादन में दूसरा है | भारत में जूट के उत्पादक राज्य पश्चिमी बंगाल ,विहार तथा असम है | कुछ जूट उत्तर प्रदेश के तराई तथा उड़ीसा के तटीय भागो में भी पैदा किया जाता है |
जूट की खेती
 जूट की खेती गरम और नम जलवायु में होती है। हल्की बलुई, डेल्टा की दुमट मिट्टी में खेती अच्छी होती है। पौधे के तीन से लेकर नौ इंच तक बड़े होने पर पहले गोड़ाई की जाती है। जून से लेकर अक्टूबर तक फसलें काटी जाती हैं।







चावल

चावल

चावल एक मानसूनी जलवायु का पौधा है | इसके उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है | विश्व के उत्पादन का ३० प्रतिशत चावल भारत में पैदा किया जाता है | चावल की कटाई  अक्टूबर-नवंबर
में की जाती है। चावल एक उष्ण कटिबन्धीय फ़सल है एवं भारत की मानसूनी जलवायु में इसकी कृषि की जाती है।

मौसम
बुआई और रोपण के लिए दो मौसम होते हैं:- रबी और ख़रीफ़ मौसम। चावल एक ख़रीफ़ फ़सल है।

चावल की खेती

चावल की खेती के लिए २० ०C का औसत तापमान तथा १०० से २०० सेमी की सुनिश्चित बर्षा आवश्यक होती है | जहाँ बर्षा कम होती है वहाँ सिंचाई करके भी चावल पैदा करने का प्रयत्न किया जाता है |  जैसे पंजाब तथा हरियाणा | चिकनी तथा मटियार मिटटी ,जिसमे पानी रुक सके चावल की उपज के लिए उपयुक्त होती है | उत्पादन बढाने के लिए हरी खाद गोबर की खाद तथा रासायनिक खाद की भी आवश्यकता पड़ती है | चावल की रोपाई तथा निराई आदि के लिए सस्ते तथा अधिक मजदूरों कीभी आवश्यकता पड़ती है  विभिन्न राज्यों में पैदा की जाने वाली चावल की कुछ विशेष किस्में इस प्रकार हैं मेतासनालू (आन्ध्र प्रदेश), करुवाई, कालाजीरा (पश्चिम बंगाल), जरीसाल (गुजरात), बासमती (उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड),आदि।

देश में चावल की तीन फ़सलें
देश में चावल की तीन फ़सलें 'अमन (शीतकालीन), औस (शरदकालीन) तथा बोरो (या ग्रीष्मकालीन)' पैदा की जाती हैं। मैदानी भागो में चावल के खेतो में पानी रोकने के लिए मेडबंदी की जाती है तथा पहाड़ो पर सीढ़ीदार खेतों में भी पानी रोका जाता है | भारत में पश्चिम बंगाल  सबसे  अधिक चावल उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश ,तमिलनाडु ,उड़ीसा आन्ध्र प्रदेश ,मध्य प्रदेश तथा असम है उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों ,पंजाब तथा हिमाचल प्रदेशों में भी चावल पैदा किया जाता है |  


Saturday 1 August 2015

आतंकबाद

atankbaad
प्रस्तावना

भारत जैसा विकासशील रास्त्र आतंकबाद की समस्या से आज आन्तरिक एवं बाहा दोनों रूप से प्रभावित है जिससे विकास कार्यो में बाधा धन –जन की हानि तथा अन्य कई समस्याएं पैदा हो रही है | आतंकवाद आज भारत की सबसे बड़ी आन्तरिक सुरक्षा चुनौती के रूप में उभरा है | आतंकबाद वर्तमान विश्व की एक गंभीरतम समस्या हैं | भारत भी इससे अछूता नहीं है | भारत लगभग चार दशको से आतंकी समस्याओ से जूझ रहा है | वर्तमान में ये आतंकी समस्याऐ इतनी तेजी से उभरी है | कि कुछ लोग ऐसा कहने को मजबूर हो गए है | कि वर्तमान युग आतंकबादी की समस्या भारत को आन्तरिक एवं बाहा दोनों रूपों से प्रभावित कर रही है |

आतंकबाद से तात्पर्य

आतंकबाद एक ऐसी विचारधारा है , जो राजनैतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शक्ति या अस्त्र-शस्त्र के प्रयोग में विश्वास रखती है | अस्त्र-शस्त्रो का ऐसा घ्रणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग दल ,समुदाय या सम्प्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की द्र्स्टी से किया जाता है | अपने राजनैतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए आतंकबादी गैरक़ानूनी ढग से अथवा हिंसा के माध्यम से सरकार को गिराने तथा शासन-तन्त्र पर अथवा प्रभुत्व करने का प्रयास भी करते है | इस प्रकार ‘’आतंकबाद उस प्रर्वति को कह सकते है | जिसमे कुछ लोग अपनी उचित अथवा अनुचित मांग मनवाने के लिए घोर हिंसात्मक और अमानवीय साधनों का प्रयोग करने लगते है |

आतंकबाद के प्रमुख लक्षण –

उपरोक्त परिभाषाओ एवं व्याख्याओ के आधार पर आतंकबाद के निम्नलिखित लक्षण द्रस्टीगोचर होते है |
(१)      यह राज्य या समाज के विरुद्ध होता है |
(२)      इसे राजनीतिक उद्देश्यों या कार्यो की पूर्ति हेतु फैलाया जाता है | इसके लिए वे समाज का ध्यान आक्रष्ट करते है और गतिविधियों का सहारा लेते है |
(३)      यह अवैध एवं गैर – क़ानूनी होता है |
(४)      जन साधारण में वेबसी और लाचारी की भावना पैदा होती है |
(५)      आतंकबादी क्रियाओ में हिंसा प्रयोग अथवा हिंसा के प्रयोग की धमकी सम्ल्लित होती है |
(६)      राष्ट्र की सामान्य गतिविधियों में बाधा डालना ,निर्दोष लोगों की हत्या करके आतंक का वातावरण पैदा करना |
(७)      आतंकबादी क्रियाओ किसी व्यक्ति , समूह , समाज अथवा शासन के विरुद्ध सम्पन्न की जाती है |
(८)      यह आकस्मिक एवं असावधानी के साथ भी हो सकती है | परन्तु बहुधा यह सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित होती है |
(९)      आतंकबाद बुद्धि संगत विचार को समाप्त कर देता है |
(१०) इसमे की गई हिंसा में मनमानी होती है | क्यूंकि पीडितो का चयन बेतरतीब एवं अन्धाधुन्ध होता है |

विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवर्तिया और आतंकबाद  

आज लगभग पूरा विश्व आतंकबाद की चपेट में है | राजनैतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए सार्वजानिक हिंसा और हत्याओं का रास्ता अपनाया जा रहा है |अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ ० केनेडी और भारतीय प्रधानमंत्रियो
श्रीमती इंदिरा गाँधी तथा श्री राजीव गाँधी की न्रशंस हत्या , अमेरिका के हवाई जहाज में बम विस्फोट , अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर को दो वायुयानों की टक्कर से भस्मीभूत करना | भारत के हवाई जहाज का पाकिस्तान में अपहरण और भारतीय संसद  पर हमला आदि घटनाएँ अन्तरास्ट्रीय आतंकबाद के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण है |

भारत में आतंकबादी गतिविधियां

१९१४ में प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ सेना के दो ही कार्य  समझे जाते थे |

१ – भारत में आन्तरिक शांति बनाये रखना |
२ – आवश्यकता पड़ने पर  युद्ध में इंग्लैंड की सेना की सहायता करना |

प्रथम विश्व युद्ध

प्रथम विश्व युद्ध में टैंक ,मोर्टर तथा वायुयानो का प्रयोग किया गया |उस समय पैदल सेना का महत्व फिर बढ गया | इस युद्ध में भारतीय सेनाये ,फ्रांस ,पूर्वी अफ्रीका तथा मिस्त्र आदि देशो में लड़ने गयी प्रथम विश्व युद्ध में सेना के बहुत से दोष प्रकट हुए | अतः इसमे अनेक परिवर्तन किये गए | १९ रेजिमेंट के सेण्टर खोले गए जिनका कार्य जवानों की भारती करना व ट्रेनिंग देना था | भारतीय प्रादेशिक सेना की स्तापना हुई | अफसरों के प्रशिक्षण हेतु १९२२ में मिलट्री कॉलेज खोला गया |

दित्या विश्वयुद्ध

३ सितम्बर १९३९ को जर्मनी ने पौलेड पर आक्रमण करके दित्या विश्वयुद्ध शुरू किया | जो कि हिरोशिमा व ९ अगस्त १९४५ को नागासाकी नगरों पर अमेरिका द्वारा अणु विष्फोट करने के बाद समाप्त हुआ | इस लड़ाई में प्रमुख लड़ाकू देश जर्मनी ,इटली और जापान आदि तझे | जिनके विरोध में अमरीका ,फ्रांस ,बेल्जियम ,हालैंड ,ब्रिटेन रूस आदि देश थे | इस युद्ध में नौसेना व वायुसेना ने भाग लिया तथा तनकों ,राकेटों तथा एटम बम का प्रयोग हुआ | इस युद्ध में हवाई शक्ति का महत्व बढ गया | इस युद्ध के दौरान  सेना में भारतीय अफसरों की संख्या बहुत बड़ी | प्रशिक्षण स्कूल खोले गए | लड़ाई के लिए सामरिक  संगठन कोर ,डीविजन व ब्रिगेड के रूप में संगठित किये गए | भारत को पूर्वी ,पशचमी ,दक्षिणी व मध्य कमान में बाटा अवरोही सैन्य निकाहो को कवचयुक्त निकाहो में परिवर्तित कर दिया गया तथा छाता धारी सैनिको को सेना में जोड़ा गया |
१५ अगस्त १९४७ को भारत स्वतंत्र हुआ ,तथा इसका विभाजन भारत व पाकिस्तान दो देशों के रूप में हुआ | पाकिस्तान को भारत का पश्चिमी हिस्सा व बंगाल में लगा हुआ मुस्लिम बहुत इलाका मिला | यह इलाके पश्चिमी पाकिस्तान व पूर्वी पाकिस्तान कहलाये | देश के विभाजन के साथ ही सेना का भी विभाजन हो लगभग १/३ सेना प्राप्त हुई |
       
आतंकबाद के विभिन्न रूप –

आतंकबादी घट्नाएं केवल भारत में ही नही ,वरन विश्वभर में हो रही है | ११ सितम्बर , २००१ को चार अमेरिकी विमानों का अपहरण करके उनमे से दो को वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर के ११० -११० मंजिलो दो टावरो से टकराकर उन्हें भस्मीभूत कर दिया गया | एक विमान अमेरिकी सेना के मुख्यलाय पेंटागन से भी टकराया गया | चौथा विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया | इस घटना में ५६०० लोगों की तुरंत मृत्यु हो गई | भारत में आतंकबाद ने एक गंभीर समस्या का रूप धारण कर लिया है | स्वतंत्र भारत में इसका  प्रारम्भ बर्ष १९६९ के आस पास नक्सली विद्रोह से मना जा सकता है | इसके पश्चात् भारतीय आतंकबाद का सम्बन्ध अन्तराष्ट्रीय आतंकबाद से  स्थापित हो गया | पहले अतंक्वादियो ने अपनी गतिविधियाँ ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्र तक नगरीय एवं अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों को वनाये लगे | आतंकबाद के कई प्रकार है किन्तु जिनका हम अपने देश में आज सामना कर रहे है वे  है – पंजाब में खालिस्तान उन्मुखी आतंकबाद ,कश्मीर में उग्रवादियों का आतंकवाद ,बंगाल ,बिहार ,आंध्र प्रदेश में नक्सलवादी आतंकबाद तथा असोम में उल्फा और बोडो आतंकबाद | पंजाब में आतंकबाद धार्मिक आधार पर आधारित है | इसलिए पंजाब के आतंकबादीयों ने धर्म के आधार पर संगठित एवं प्रेरित होकर आतंकबादी गतिबिधियां की | वर्तमान समय में पंजाब में आतंकबादी गतिविधियां सामाप्त हो गई है| पंजाब द अतीत की बात बनता जा रहा है | परन्तु बिभिन्न अकाली दल गुट अब भी प्रथक पंजाब की मांग दुहराते ही रहते है | इसलिए लोगों के मन में आज भी भय बना हुआ है | कश्मीरी उग्रवाद ने आज नया रूप धारण कर लिया है | आज यह कश्मीर तथा पूरे देश में राजनितिक अस्थिरता पैदा करना चाहता है ,इसलिए  अतंक्वादियो  ने वहां रक्त युद्ध चला दिया | आतंकबादीयों द्वारा  आतंक फैलाकर हिन्दुओ को कश्मीर छोड़ने के लिए बाह्य किया जा रहा है | हिजबुल मुजाहिददीन जम्मू-कश्मीर  लिबरेशन फ्रन्ट आदि उग्रवादी संगठन पाकिस्तान द्वारा समर्थित है तथा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में ये प्रशिक्षण एवं कैम्प चला रहे हैं | जहाँ उग्रबदियों को वाकायदा प्रशिक्षण एवं दिए जाते है | ये आजाद कश्मीर की मांग कर रहे है,और पाकिस्तान में विजय की मांग अन्य उग्रवादियों समूहों ,जैसे मुस्लिम जप्रेम्बल और इकवाने मुसलमान भी है | सब उग्रवादियों में यह भावना है की उन्हें एक समान शत्रु भारतीय सैन्य शक्तियो क्ले विरुद्ध एक होना है | असोम आतंकबाद बर्ष १९८० में उभरकर सामने आया | असोम  आन्दोलन और असोम में आतंकबाद ,विदेशियों को बाहर निकलने के उद्देश और उनके नाम निर्वाचन संचियों से हटाने की मांग कर रहे है | आज विश्व में जहाँ कही भी आतंकबाद है वह लगभग इस्लामी कट्टरवादियों की ही देन है | वर्तमान में विश्व में अनेक ऐसे ,इस्लामी संगठन है जो इस्लाम खतरे  में है, का नारा लगते है | और इस्लाम के तथाकथित शत्रुओ को समाप्त करने के लिए जेहादी आन्दोलन छेड़े हुए है |  इस्लामी आतंकबाद चाहे वह अलकायदा की ओर चला जा रहा हो या हमारा की ओर से या हिबुल्ल्लाह की ओर से अथवा अलगाया इस्लामियों की ओर से इन सभी का एकमात्र उद्देश्य यह है की विश्व के जो भी से इन सभी का एकमात्र उद्देश्य यह है की विश्व के जो भी रास्ट्र शरियत के मुताबिक नहीं चलाये जा रहे है तथा शरियत के अधीन नही है उन सभी राष्ट्रों की सरकारों का बलपूर्वक पलट दिया जाए |

हिंसा फ़ैलाने वाले आतंकबाद 

हिंसा के द्वारा जनमानस मे भय या आतंक पैदा कर अपने उददेशो को पूरा करना आतंकबाद है | यह उददेश राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक ही नही समाजिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है | वैसे तो आतंकबाद के कई प्रकार है ,किन्तु इनमे से तीन ऐसे है जिनसे पूरी दुनिया अत्यधिक त्रस्त है | ये तीन आतंकबाद है | राजनीतिक आतंकबाद ,धार्मिक कट्टरता एवं गैर – राजनीतिक या सामाजिक आतंकबाद | श्रीलंका में लिटटे समर्थको एवं अफगानिस्तान में तालिवानी संगठनों की गतिविधियां राजनीतिक आतंकबाद के ही उदाहरण है | अलकायदा , लश्कर –ए -तएबा , जैश –ए मोहमद जैसे संगठन घार्मिक कट्टरता की भावना से अपराधिक क्रत्यो को अन्जाम देते है ,अतः ऐसे आतंकबाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है | अपनी सामाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न समाजिक क्रन्तिकारी विद्रोह को गैर –राजनीतिक आतंकबाद की श्रेणी में रखा जाता है | अपनी समाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न समाजिक क्रन्तिकारी विद्रोह को गैर – राजनीतिक आतंकबाद की श्रेणी में रखा जाता है |

भारत सरकार द्वारा चलाये गए अधिनियम

आतंकबाद को समाप्त करने हेतु सरकार द्वारा बिभिन्न उपाय किए गए है | आतंकबादी व अलगाववादी ताकतों से निपटने के लिए भारत सरकार ने बर्ष १९८५ में एक कानून ; आतंकबादी ;एवं विध्वंसक गतिविधि रोकथाम अधिनियम  जोकि संषेप में ,टाटा, के नाम से जाना जाता है ,पारित किया था किन्तु बाद में अतान्क्बदियो की गतिविधियों को गंभीरता से देखते हुए यह अनुभव किया गया की एक और कानून पारित किया जाए | अतः इसके बाद बर्ष १९९९ में टाटा के स्थान पर एक नया आतंकबाद निरोधक कानून (पोटा) को पारित किया गया जिनका विवरण निम्नलिखित है ,

टाडा भारत सरकार ने आतंकबाद और आतंकबादी गतिविधियों से निपटने हेतु आतंकबादी एवं विध्वंसक गतिविधि रोकथाम एक्ट , टाडा नाम से कानून बनाया है | इस कानून में आतंकबादीयों को  दण्डित करने के अतिरिक्त मनोनीत न्यायालयों की स्थापना के लिए भी प्रावधान है , लेकिन इस कानून के बहुत दुरूपयोग की बात बिभिन्न मंचो पर दोहराई गई | इसलिए अंततः टाडा को बर्ष १९९७ में समाप्त कर दिया |

पोडा ,पोडा ,टाडा का ही एक रूप है जिसे २५ अक्टूबर ,२००१ को लागू किया गया था | इसके अंतर्गत कुल  २३ आतंकबादी और अतान्क्बदियो से सम्बंधित सूचना को छिपने वालो को भी दण्डित करने का प्रावधान किया गया है | पुलिस शक के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है , किन्तु बिना आरोप –पत्र के तीन माह से अधिक हिरासत में नही रख सकती | पोटा के अंतर्गत गिरफ्तार व्यक्ति हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट में अपील कर सकता है ,लेकिन यह अपील भी गिरफ़्तारी के तीन माह बाद ही हो सकती है | २१ सितम्बर , २००४ को इसको अध्यादेश के द्वारा समाप्त कर दिया गया |

भारत में आतंकबादी गतिविधियाँ –

विगत दो द्शाबधियो में भारत के पंजाब , बिहार ,असम , बंगाल ,जम्मू –कश्मीर आदि कई प्रान्तों में  आतंकबादियों ने व्यापक स्तर पर आतंकबाद फैलाया | १० मार्च , १९७५ ई० को भारत के भूतपूर्व न्यायधीश श्री ए० एन० राय की हत्या का प्रयास किया गया | बिहार के पूर्व रेलवे मन्त्री श्री ललितनारायण मिश्र , पं० दीनदयाल उपाध्याय , श्रीमती इन्दिरा गांघी , श्री राजीव गाँधी , श्री लोगोवाल , भूतपूर्व सेनाध्यक्ष श्री अरुण श्रीधर वैध , पंजाब –केसरी के सम्पादक लाला जगतनारायण , कश्मीर विश्वविधालय के कुलपति श्री मुशीर –उल –हक आदि देश के अनेक गणमान्य व्यक्तियों को आतंकबादीयों ने मौत के घाट उतार दिया | पंजाब और कश्मीर में पाकिस्तान – प्रशिक्षित अतान्क्बदियों द्वारा कई बर्षो से निर्दोष लोगो की हत्याओ का सिलसिला जारी है ,और आज भी वे ऐसा करने से नही चूक रहे है | १० अगस्त , १९८६ ई० को अतान्क्बदियों द्वारा इण्डियन एयरलाइन्स का एक हवाई जहाज गिरा दिया गया ,जिसके फलस्वरूप ३२९ यात्रियों की तत्काल मृत्यु हो गई | १९९५ ई० में जम्मू में आतंकबादीयों द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह के अबसर पर किया गया विस्फोट , तिनसुकिया मेल में बम बिस्फोट ; चरोर – शरीफ दरगाह अग्निकांड ; ७ मार्च , १९९७ ई० को फिल्म निर्माता – निर्देशक मुकेश दुग्गल की हत्या ; २२ मार्च , १९९७ ई० को ७ कश्मीरी पंडितो की हत्या ; २९ मार्च ,१९९७ को जम्मू में भीषण बम बिस्फोट में २५ लोगों की म्रत्यु ; ७ मई , १९९७ ई० को त्रिपुरा में १६ जवानों की हत्या ; १२ अगस्त ,१९९७ ई० को टी – सीरिज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या ; १९ नबम्बर १९९७ ई० को हैदराबाद में एक कार बम विस्फोट में टी ० वी ० कैमरा दल के ६ सदस्यों एवं एक पत्रकार सहित २३ लोगों की हत्या ; २ दिसम्बर , १९९७ ई० को रणवीर सेना के हमलावरों द्वारा बिहार में ६५ व्यक्तियों की हत्या ; १४ फ़रवरी ,१९४८ ई० कोयम्बटूर में भाजपा अध्यक्ष श्री लालक्रश्ण आडवाणी की हत्या का प्रयास ; २० जून , १९९९ को अनंतनाग में १५ हिन्दू मजदूरों की हत्या ;२८ जून १९९९ ई० को पुच्छ में १७ लोगो की हत्या ; २४ दिसम्बर १९९९ ई० को इण्डियन एयरलाइन्स के विमान का अपहरण ; २० फ़रवरी , २००० ई० को बारूदी सुरंग फटने से जगदलपुर में २३ पुलिसकर्मीयों का शहीद होना ;२८ फ़रवरी , २००० ई० को जम्मू में ५ हिन्दुओ की निर्मम हत्या , ३ मार्च , २००० ई० को जम्मू से आ रही बस में विस्फोट होने से ९ यात्रियों की दर्दनाक मौत ; २० मार्च , २००० की रात्रि को अनन्तनाग जिले में सिक्खों की आबादीवाली बस्ती चिट्टीसिंहपुरा में ३५ सिक्खों की सामूहिक हत्या ,१३ दिसम्बर ,२००१ को  भारतीय संसद पर हमला, जिसमे पांचो आतंकबादी मारे गए  और छह सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए आदि घटनाएं इस तथ्य का स्पस्ट संकेत देती है | कि भारत में आतंकबाद का घ्रणित सिलसिला निरन्तर बढता ही जा रहा है |

नक्सलवादी आतंकबाद –

नक्सलवादी आन्दोलन जो पहले अपने हक की लड़ाई के रूप में आरम्भ हुआ था | वह  आज यदि सशस्त्र आतंकवाद का रूप ले चुका है तो इसके पीछे भी कुछ कारण है | आदिवासी क्षेत्रो में निर्धनता , बेरोजगारी , अशिक्षा ,कुपोषण और अज्ञानता के कारण भी नक्सलवाद को बढावा मिला है अथवा कुछ स्वार्थी लोग उन्हें बरगलाकर अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहे है | यधपि भारत सरकार ने दलितों , आदिवासियों एवं कृषक समुदाय के हितो के संरक्षण हेतु कई कानून पारित किए है , किन्तु अब तक उन्हें समुचित रूप से लागू नही किया जा सकता है | भू – स्वामियों का भूमि पर अवैध कब्ज़ा एवं सूदखोर महाजनों द्वारा आदिवासियों एवं दलितों का शोषण भी नक्सलवाद को बढाने के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है | नक्सलवाद आतंकबाद का रूप ले चुका है इसलिए इसका शीघ्र समाधान आवश्यक है , किन्तु देश के लगभग तीस हजार नक्सलवादियों को न तो गिरफ्तार कर जेल भेजा जा सकता है | और न ही उन सबको मौत की सजा देना इस समस्या का समाधान होगा | नक्सलवाद की समस्या का सही समाधान यही हो सकता है , कि जिन वजहो से इसमे व्रधि हो रही है , उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाए | इसमे आदिवासी इलाकों के विकास से लेकर आदिवासी युवक – युवतियों  को रोजगार मुहैया कराने जैसे कदम अत्यधिक अपने हक के लिए भी लड़ रहे है ऐसे इलाकों की पहचान कर उन्हें उनका अधिकार प्रदान करना अधिक उचित होगा | कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है कि नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिए व्यापक रणनीति बनाते हुए आदिवासी इलाकों का विकास करना अत्यंत आवश्यक है |नक्सली आतंकबाद की शुरुआत बर्ष १९६७ में पश्चिम बंग से हुई | नक्सलवादी आतंकबाद को प्रशिक्षित कर बढावा देने में चीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है | चारू मजूमदार भारत में नक्सलवाद को पोषित करने में अग्रणी रहे है |  नक्सलवादी आन्दोलन भूमिहीन श्रमिको के हितो की रक्षा करने के लिए प्रारम्भ हुआ | नक्सलवादी जमींदारो , साहूकारों और पुलिस अधिकारियो को अपना निशाना बनाते है | और उन्हें मार देते है |

कुछ प्रमुख आतंकी घटनाएं

आतंकबाद ने भारत ही नही अपितु विश्व के लिए कितना खतरनाक रूप धारण कर लिया है इसकी बानगी इन दरिंदो द्वारा अन्जाम दी गई कुछ घटनाओ से ही दी जा सकती है अब तक की सबसे खतरनाक घटना है अमेरिका के वर्ल्ड सेंटर और प्रमुख सेना मुख्यालय पेंटागन पर 11 सितम्बर ,२००१ में विमान को अपहरण करके किया गया हमला | इस आतंकबादी हमले में ६०० लोगो की मौत हो गई थी और कितने हजारो करोड़ डालर की माली क्षति हुई इसका हमला अनुमान आज तक भी नही लगाया जा सका |
पिछले एक दशक में  आतंकबादीयों द्वारा कई चर्चित घटनाओ को अन्जाम दिया गया  |

(१) आतंकबादी इतिहास का सबसे भयानक हमला ११ सितम्बर ,२००१ को विमान को अपहरण करके अमेरिका के सैनिक मुख्यालय ,पेंटागन और ; विश्व व्यापार केंद्र ; पर किया गया था | इस आतंकबादी घटना में हजारो लोगो की मौत के मुख में जाना पड़ा था |

(२) (१३ दिसम्बर , २०१० ) विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रीय देश भारत के संसद भवन पर आत्मघाती आतंकबादीयों ने अत्यंत दुसहस्सिक हमला किया जिसमे छः सुरक्षा जवान सहित सात मारे गए और २१ लोग घायल हुए |

(३) इन्ही घटनाओ के सिलसिले में २२ जनवरी , २००२ को कोलकाता स्थित अमेरिकन  सेन्टर पर अत्याधुनिक हथियारों से लैस दो मोटरसाईकिलो पर सवार चार आतंकबादीयों ने सुबह के समय हमला किया जिसमे चार पुलिसकर्मी मौके पर ही शहीद हो गए थे |

(४) २६ नबम्बर ,२००८ को भारत की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुम्बई जैसे महानगर में स्थित महत्वपूर्ण स्थानों पर हुई दिल दहला देने वाली आतंकबादीयों की इस घटना में लगभग २०० लोगो ने अपनी जान गवांई थी जिनमे से लगभग २२ लोग विदेशी नागरिक भी थे |

आतंकबाद के उददेश्य

आतंकबादीयों के उददेश्य प्रत्येक आन्दोलन के साथ बदल सकते है , परन्तु आतंकबाद के मुख्य उददेश्य सभी आतंकी आन्दोलनों में एक ही होते है | उनका मूल उददेश्य भय पैदा करना होता है | शासन को प्रतिक्रिया और अति प्रतिक्रिया दिखने के लिए प्रेरित करना | सरकार को आतंकबादीयों की मांग को मनवाने के लिए बाध्य करने हेतु  प्रतिक्रीया की आवस्यकता होती है |जिसके परिणामस्वरूप एवं अंधाधुन्ध प्रतिक्रिया की  जाती है | सरकारों के द्वारा निजी सुरक्षा प्रयोग किये जाने तथा संभ्रांत लोगो को दिए जाने के कारण जनता अपने को असुरक्षित महसूस करती है | जनता के समर्थन संगठित करना और संभावित समर्थको को और अधिक आतंकबाद के लिए प्रेरित करना और अधिक व्यक्तियों को उसमे शामिल करना अतान्क्बदियो का उददेश्य होता है | विरोधियों और मुखाबिरो को ख़त्म करना ,आन्दोलन के खतरे को दूर करना , अनुयायियों के अनुसरण को सुनिश्चित करना भी उनका उददेश्य होता है | इसके साथ –ही साथ अपने उददेश्य और शक्ति का प्रचार कर सकते है

(१)      अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए अलग राज्य की मांग करना |
(२)      अपनी राजनीतिक महत्वाकंशाओ की पूर्ति के लिए आतंकबाद का सहारा लेना |
(३)      किसी देश को नीचा दिखाने , उसकी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के लिए उस पर आतंकबादी हमले करना |
(४)      किसी देश की राजनीतिक कूटनीति के कारण हुए नुकसान का बदला लेना |
(५)      सरकार द्वारा किसी क्षेत्र बिशेष की लम्बे समय तक उपेक्षा से त्रस्त होकर उस क्षेत्र के निवासियों द्वारा कुंठित होकर सरकार का हिंसक विरोध करना |
(६)      पूरे विश्व पर अपने धर्म का वर्चस्व स्थापित करना |                                                                  

भारत में नक्सलवाद गैर –

राजनीतिक आतंकबाद का उदाहरण है | आतंकबादी हमेशा आतंकबाद फ़ैलाने के नये –नये तरीके आजमाते रहते है | भीड़ भरे स्थानों ,रेलवे , बसों इत्यादी में बम विस्फोट करना , रेलवे दुर्घटना  करवाना इत्यादी , वायुयानों का अपहरण कर लेना , निर्दोष लोगो या राजनीतिक को बन्दी बना लेना , बैंक डकैतिया करना इत्यादी कुछ ऐसी आतंकबादी गतिविधियाँ है | जिनसे पूरा विश्व पिछले कुछ दशको से त्रस्त रहा है |              

आतंकबाद के व्यावहारिक दुष्परिणाम –
आतंकबाद से अनेक प्रकार के दुष्परिणाम हो रहे है जिनमे से कुछ प्रमुख तथ्यों का अति संक्षेप में विवरण इस प्रकार है

(१)आतंकबाद व्यापक रूप से सम्पूर्ण मानवीय सभ्यता व मानवेचित गुणों ; जैसे दया ,सहयोग , सहानभूति , सुख व शांति को नष्ट करता है तथा आम लोगों में आतंक ही  फैलता है | लोगो के दिल में डर और असुरक्षा की भावना को पैदा करता है जिसके फलस्वरूप लोग अपना स्वाभविक जीवन नहीं जी पाते है |

(२) आतंकबाद से देश में जान और माल की अथाह क्षति होती है | जनता व सरकार की अरबो की सम्पत्ति नष्ट होती है और लाखो लोग मारे जाते है | इसके अलावा यह देश की सम्रद्धि की सभी सम्भाबनाओ को नष्ट कर
देता है जिससे देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो जाती है और अगर प्रगति में बाधा पहुँच रही है , तो इसके दुष्परिणाम भयावह हो सकते है |

(३) आतंकबाद के कारण देश की औधोगिक प्रगति में बाधा पहुंचती है जिससे विदेशी निवेशक उस देश में पूंजी नही लगाते जहाँ आतंकबाद का खतरा होता है | इसलिए आतंकबाद से निपटने के लिए सरकार को सैनिक बल व पुलिस बल को बढाने के लिए काफी धन खर्च करना पड़ता है जिस कारण जनकल्याणकारी  कार्यक्रमों में कटौती करनी पडती है |

इसके अतिरिक्त आतंकबाद अन्य कई रूपों में अपने दुष्परिणाम को फैलाता है ; जैसे

सामाजिक दुष्परिणाम :-
 जिसके अंतर्गत साम्प्रदायिक सदभाव एवं राष्ट्रीय एकता को खतरा सामाजिक एवं पारिवारिक विघटन आदि आते है |

आर्थिक दुष्परिणाम :-
इसके अंतर्गत निर्धनता एवं बेरोजगारी , उधोग – धंधो का विनाश तथा आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न होना आदि आते है |

राजनीतिक दुष्परिणाम :-
इसके अंतर्गत राजनीतिक व्यवस्था  के प्रति जनता में अंधविश्वास की बढोतरी , अन्तराष्ट्रीय सम्बन्धो का बिगड़ना तथा सरकारों की अस्थिरता आदि आते है | उपरोक्त विवरणों के अतिरिक्त आतंकबाद बढने से किसी भी देश में कार्यशील जनसंख्या का हास होता है | देश में पर्यावरण प्रदूषण बढता है | देश की सुरक्षा पर ही आय का एक बहुत बड़ा भाग खर्च होने लगता है | पुलिस और सेना वी आई पी लोगो की सुरक्षा में तैनात हो जाती है | समाज में अपराध बढने लगते है और देश की सीमाओं की सुरक्षा का दबाव बढ़ जाता है |इन परिस्थितियों में कोई भी देश अपनी जनता के हित के बारे में विचार ही नही कर पाता |

आतंकबाद का समाधान 
आतंकबाद का स्वरुप या उददेश कोई भी हो , इसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो , किन्तु यह तो स्पष्ट है की इसने हमारे जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है | आतंकबाद नव- जाति के लिए कलंक है , इसलिए इसका कठोरता से दमन करना चाहिये | भारत सरकार ने आतंकबादी गतिविधियों को बड़ी गंभीरता से लिया है और इनकी समाप्ति के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए है | भारत की संसद ने आतंकबाद – विरोधी विधेयक , पारित कर  दिया है , जिसके अंतगर्त आतंकबादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्तियों को कठोर-से-कठोर दण्ड देने की व्यवस्था की गई है | आतंकबाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैनिक दोनों ही स्तरों पर किया जाना चाहीए | जिन लोगो को पीड़ा हुई अथवा जिनके परिवार अथवा संपत्ति को नुकसान हुआ है तथा जिनके सम्बन्धियों और रिश्तेदारों की मृत्यु हुई है ; उन्हें भरपूर मानसिक समर्थन दिया जाना चाहिए , जिससे उनके घाव हरे न रहे और वे मानसिक पीड़ा के बोझ को सह न सकने की स्थिति में स्वयं भी अतन्क्बादी न बन जाए | आतंकबाद और अलगाववाद की समस्या से प्रभावी ढंग से निबटने के लिए आवश्यक है की सरकार के प्रति जनता में विश्वास जगाया जाए | इसके अतिरिक्त जहाँ एक ओर आतंकबादीयों के साथ कठोर व्यवहार करना होगा , वही गुमराह युवको को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश भी करनी होगी | आतंकबादीयों से निपटने के लिए अन्तराष्ट्रीय  स्तर पर भी प्रयास किये जाने चाहिए | अनेक देशो के राजनेताओ ने आतंकवाद की भत्सर्ना की है | आवश्यकता इस बात की है की सभी देश एक मत से आतंकबाद को समाप्त करने का द्रढ संकल्प ले | विश्व की सभी सरकारों को अन्तराष्ट्रीय  स्तर पर आतंकबाद के विरुद्ध पारस्पारिक सहयोग करना चाहिए , जिससे कोई भी आतंकबादी गुट किसी दूसरे देश में शरण या प्रशिक्षण न पा सके |

आतंकवाद एवं मादक पदार्थो की तस्करी :-
बंग्लादेश में हाल के बर्षो में कट्टरपंथी तत्वों का प्रभाब बढा है | वहां अलकायदा और आईएसआई के नेटवर्क के विस्तार की खबरे भारत को चिंतित कर रही है | पूर्वोतर के बिभिन्न अलगाववादी संगठनो के ट्रेनिंग कैम्प बंगलादेश में स्थित है , जबकि बांग्लादेश का कहना है | कि आतंकबाद और अलकायदा नेटवर्क के नाम पर भारतीय मीडिया और नेता उसकी अंतराष्टीय छवि ख़राब कर रहे है |

आतंकवाद के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दू : 

(१)             भारत – अमेरिका दोनों आतंकबाद से त्रस्त है | आतंकवाद का उन्मूलन दोनों मिलकर कर सकते है और इस्लामी आतंकवाद को समाप्त कर सकते है |
(२)             मानव – मन में विधमान भय प्रायः उसे निष्क्रिय और पलायनवादी बना देता है इसी भय का सहारा लेकर समाज का व्यवस्था –विरोधी वर्ग अपने दूषित और निम्नस्तरीय स्वार्थो की सिद्धि के लिए समाज
   में आतंक फैलाने का प्रयास करता है |
(३)             स्वार्थ सिद्धि के लिए यह वर्ग हिंसात्मक साधनों का प्रयोग करने से भी नही चूकता | इसी स्थिति से आतंकबाद का उदय होता है |
(४)             हमारे देश में महान देशभक्तो आतंकबाद के विरुद्ध बहुत कार्य किये |
(५)             भारत के अनुसार , जनमत संग्रह अब सम्भव नही है , कश्मीर समस्या  मूलतः पाक प्रयोजित आतंकवाद के कारण है |
(६)             आतंकवाद और सीमा विवाद के समाधान के लिए नियमित अन्तराल पर महानिदेशक स्तर की बैठक आयोजित की जा रही है |
(७)             पूर्वोत्तर में आतंकवादी गतिविधियों के संदर्भ में बातचीत चल रही है | बांग्लादेश ने इस बात पर सहमति प्रकट की है कि आतंकवादी खतरे से निपटने के लिए दोनों देशो के बीच सहयोग हो |
(८)             भारत –अमेरिका दोनों आतंकवाद या इस्लामी आतंकवाद से ग्रसित है ,आतंकवाद उन्मूलन के लिए दोनों एक – दूसरे को अपना सहयोगी मानते है|
(९)             भारत भी १३ दिसम्बर संसद पर हमले तथा २६/११ मुम्बई आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका से आतंकवाद उन्मूलन के बारे में हरसम्भव सहयोग देने का आश्वासन दिया है | इस सन्दर्भ में दोनों देशो के मध्य एक ल्वांट वर्किग ग्रुप का भी गठन किया गया है |
(१०)        २६/११ मुम्बई आतंकवादी घटना ( नवम्बर ,२००८ ) के कारण जब भारत ने अमेरिका से पाक को नियंत्रित करने के लिए कहा , तो अमेरिका ने भारत को आतंकवाद उन्मूलन के लिए हर प्रकार से समर्थन की घोषणा की | दूसरी ओर पाकिस्तान का सहयोग प्राप्त करने के लिए कैरी –लूगर बिल लाने की घोषणा की | इस प्रकार स्पष्ट है कि बर्ष १९९१ के बाद भी अमेरिका एकपक्षीय भारत समर्थन नीति नही अपना रहा है | वह आज भी पच्छिमी एशिया और
     अलकायदा के उन्मूलन के लिए पाकिस्तान को महत्वपूर्ण मानता है |
(११)        १३ दिसम्बर ,२००१ को पाक आतंकवादियो ने भारतीय लोकतंत्र के दुर्ग भारतीय संसद पर हमला किया ,तो अमेरिका ने पुनः सन्तुलन की कूटनीति का प्रयोग करते हुए , एक ओर पाक को भारत में आतंकवाद प्रोत्साहन में कमी लाने को कहा ,तो दूसरी ओर अफगानिस्तान कार्यवाही में सहयोग के लिए उसे F-१६ लड़ाकू  विमानों की आपूर्ति का आश्वासन दिया |

उपसंहार :

यह  कैसी विडंबना है | की बुद्ध , गुरुनानक और महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों की जन्मभूमि पिछले कुछ दशको से सबसे अधिक अशांत और हिंसात्मक हो गई है | अब तो ऐसा प्रतीत होता है | की देश के करोड़ो नागरिक ने हिंसा की सत्ता को स्वीकारते  हुए उसे अपने दैनिक जीवन का अंग मान लिया है | भारत के बिभिन्न भागो में हो रही   आतंकबादी गतिविधियों ने देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है | आतंकबाद का समूल नाश ही इस समस्या का समाधान है | प्रस्तावना भारत जैसा विकासशील रास्त्र आतंकबाद की समस्या से आज आन्तरिक एवं बाहा दोनों रूप से प्रभावित है जिससे विकास कार्यो में बाधा धन –जन की हानि तथा अन्य कई समस्याएं पैदा हो रही है | आतंकवाद आज भारत की सबसे बड़ी आन्तरिक सुरक्षा चुनौती के रूप में उभरा है | आतंकबाद वर्तमान विश्व की एक गंभीरतम समस्या हैं | भारत भी इससे अछूता नहीं है | भारत लगभग चार दशको से आतंकी समस्याओ से जूझ रहा है | वर्तमान में ये आतंकी समस्याऐ इतनी तेजी से उभरी है | कि कुछ लोग ऐसा कहने को मजबूर हो गए है | कि वर्तमान युग आतंकबादी की समस्या भारत को
आन्तरिक एवं बाहा दोनों रूपों से प्रभावित कर रही है |


कपडे

हमे कपडे क्यों पहनने चाहिए -

कपडे हमारी मूल आवश्यकता है | हम कपडे अपने शरीर को ढकने के लिए पहनते है | कपडे हमारी धूप ,ठण्ड  ,जाड़े , बर्षा और धूल आदि से रक्षा करता है | हम कपड़ो में ,स्मार्ट और हैण्डसम दिखते है | हम कपडे बिभिन्न प्रकार के पहनते है | आदमी कमीज , पेण्ट , कार इत्यादी पहनते है | औरते सदी ,ब्लाउज ,सलवार , सूट इत्यादी पहनती है | बच्चे शार्ट , स्कर्ट , फ्रोक इत्यादी पहनते है हम बिभिन्न मौसम में बिभिन्न प्रकार के कपडे पहनते है | गर्मी में हम कॉटन , सिलिकेन आदि पहनते है | वे हमे ठण्डा रखते है | जाड़ो में हम ऊनी कपडे पहनते है | ऊनी कपडे हमे गर्म रखते है | जब बारिश होती है, तो हम बरसाती पहनते है | वे हमारी बारिश से रक्षा करते है | जब हम बारिश में बाहर जाते है | तो छाते का भी उपयोग करते है | हमारे देश में बिभिन्न प्रकार के कपडे पहनने वाले लोग रहते है | वे उनका आसानी से पहन सकते है | हम कॉटन, कॉटन के पौधों से प्राप्त करते है | किसान कॉटन को अपने खेतो में उगता है | it is spun into yarn .The weaver , weaves into the yarn . हमे भेड़ से ऊन मिलती है | भेड़ के बाल मुलायम होते है | जिन्हें फ़्लिइस कहते है , The fleece is sheared , cleaned , spun into yarn .The woolen yarn is then woven into cloth .हम ऊन को फर से भी प्राप्त कर सकते है | फर जानवरों से प्राप्त करते है | जैसे लोमड़ी , मिंक और खरगोश आदि |हम रेशम , रेशम कीट से प्राप्त करते है | यह कीड़ा शेहतूत के पेड़ की पत्तियों को  खाता है | कच्चा रेशम कोकून से बनता है | बरसाती मुख्यता प्लास्टिक से बनाती है | हम रबर को रबर के पेड़ से प्राप्त करते है | रबर के पेड़ की दूध की मात्रा को लेटेक्स कहते है लेटेक्स रबर में परिवर्तन होता है | हमे साफ- सुथरा कपडे पहनने चाहिए | हमे उन्हें रोज धोना  चाहिए |


पूजा करने का स्थान

हम भगवान की   प्राथना खुद को सुरक्षित और खुश रखने के लिए करते है और खुद को अच्छा इन्सान बनाने के लिए करते है | हम इन सबके लिए ईश्वर का धन्यबाद करते है | कि वो हमे सब देता है | लोग बिभिन्न धर्म के होते है | वे ईश्वर की पूजा बिभिन्न प्रकार से करते है | प्रशांत के बहुत से मित्र आसिफ जाहन और गुरमीत आदि है | प्रशांत हिन्दू है आसिफ मुस्लिम ,जाहन , क्रिस्चियन तथा गुरमीत सिकख है | हिन्दू मन्दिर में पूजा करते है | वे मिठाईयां और फूल बिभिन्न भगवानो को चढाते है | भगवान जैसे राम , क्रिशन और शिवा मुख्य भगवान है |दुर्गा और लक्ष्मी मुख्य भगवान है | रामायण और भागवत गीता हिन्दुओ की पवित्र ग्रन्थ है | क्रिश्चयन चर्च जाते है | और जीजस क्राइस्ट की प्राथना करते है | उनकी पवित्र ग्रन्थ बाइबिल है | मुस्लिम मज्जिदो में पूजा करते है | वे एक दिन में पांच वार नुमाज अदा करते है \ उनकी पवित्र ग्रन्थ कुरान है | ‘’ गुरु ग्रन्थ साहिब है | ‘’ वे गुरुवाणी हिम्नस गाते है | जैन ‘’ लार्ड महाविरा की पूजा करते है | बुद्ध लार्ड बुद्ध की पूजा करते है | पारसिस पारसी पूजा करते है , मन्दिर में | हम सब पूजा करते है | हम सब भगवान की पूजा बिभिन्न स्थानों पर भिन्न प्रकार से करते है | लेकिन हम सब एक ही भगवान को पूजते है | हमे सभी धर्मो को आदर देना चाहिए |

हिंदू धर्म

हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म माना जाता है; हालांकि, यह "जीवन का एक रास्ता" या बजाय एक धर्म का एक दर्शन है कि यह कॉल करने के लिए और अधिक सटीक हो सकता है। हिंदू धर्म अविश्वसनीय रूप से विविध है और यह गहराई से भारत में लोगों और संस्कृति से जुड़ा हुआ है। यह न तो उसके आवेदन सुनिश्चित करने के लिए एक "चर्च" या संस्था, और अन्य धर्मों की तरह कोई भी पवित्र पाठ, लेकिन कई है, एक एकल संस्थापक व्यक्ति नहीं है। हिंदू धर्म पुनर्जन्म में विश्वास के द्वारा होती है, कई अभिव्यक्तियों में से एक पूर्ण किया जा रहा है, कारण और प्रभाव के कानून, और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति के लिए इच्छा। यह दुनिया भर में एक बहुदेववादी धर्म के रूप में स्वीकार किया जाता है; हालांकि, कई हिंदुओं ब्रह्म नामित एक सर्वोच्च और अंतिम जा रहा है में विश्वास करते हैं। शिव, विष्णु, और ब्रह्मा: हिंदू धर्म के तीन मुख्य देवताओं में ब्रह्म वैयक्तिकृत करता है। हिंदू मंदिरों प्रसाद, रस्में और प्रार्थना के माध्यम से भगवान और देवताओं, पूजा करने के लिए बनाया जाता है। पूजा मंदिर में जाने के लिए एक विशेष दिन वहाँ कोई नहीं है, बल्कि सामूहिक तुलना में मुख्य रूप से व्यक्तिपरक है, और यह भी कि यह हर दिन अभ्यास किया जा सकता है। हिंदू मंदिर में भाग लेने के लिए कारण उसे या उसके महान आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, किसी विशेष देवता यात्रा है। हिंदू मंदिर हम दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं, जहां एक विशेष स्थान है। मैं दक्षिण पश्चिम ranches, फ्लोरिडा में स्थित हिंदू मंदिर की यात्रा करने का मौका था। मैं हिंदू धर्म के एक पूर्व ज्ञान है, लेकिन मैं पहले एक मंदिर गई कभी नहीं किया है। मैं पहले अपनी इस यात्रा के लिए मंदिर दिनों के लिए कहा जाता है, और मैं "जीवन का एक रास्ता" है, जो अपनी संस्कृति और धर्म के बारे में अधिक जानने में बहुत दिलचस्प था कि उन्हें समझा। उन्होंने सुझाव दिया कि अपनी इस यात्रा मैं लग रही है और यह भगवान का घर है, क्योंकि मेरा सबसे अच्छा महसूस करना चाहिए के दिन। यह शामिल स्नान और साफ कपड़ों पर डाल। पारंपरिक कपड़े पहने हुए ...अब सम्मिलित हों

घर

शेल्टर हमारी मूल आवश्यकता होती है | प्रतयेक को एक घर (S) की आवश्यकता होती है | our house provides us shelter

हम घर में क्यों रहते है ?
हम सब अपनी आवाशक्यकता  के लिए घर में रहते है | हम हमारी ठण्ड , गर्मी ,बर्षा , चोरो और जगंली जानवरों से रक्षा करता  है | हम अपने घर में सुरक्षित महसूस करते है | एक मकान एक घर है , जहाँ परिवार वाले इसमे रहते है | कई गांवो में बहुत से लोग एक छोटी झोपड़ी में रहते है | झोपडियां घास , मड और झण्डियो इत्यादी की बनी होती है | ये ज्यादा पक्के नही होते है | इन्हे कच्चा मकान कहते है \ शहरो व नगरो में मकान ईटो , सीमेंट , आयरन , मिटटी , लकड़ी, इत्यादी के बने होते है ये मकान पक्के होते है | इन्हे पक्का मकान कहते है |

बंगलाउस , फ़्लैट ,और स्काईस्पेस क्या है ?
कुछ लोग बड़े घरो में रहते है ,जिन्हें बंगला कहा जाता है | बंगले में एक लॉन या बगीचा एक बरामदा और एक बड़ी बिल्डिंग रखता है | बड़े शहरों में एक multi stored building होती है | many houses are built together in these building . जो flat  कहलाते  है ,flat help us to save space बड़े शहरों में multi storedyed building
होती है , जिन्हें स्काई स्क्रेपेस कहा जाता है |

चलित घर
कुछ घर temporery house होते है | वे एक स्थान से दुसरे पर सरकाये जाते है caravans टैंट और नाव  वाले घर चालित घर होते Gypsies are nomadic people  वे पहिये वाले घरो में रहते है | carvana कहा जाता है | सोल्जर स्काउट NCC केवेट और लोग टेंट हाउस वाले घरो में रेगिस्तानों में रहते है | एक हाउस बोट तैरने वाले मकान झीलों में तैरते है |

घर कैसे बनाया जाता है
कई लोग building वाले मकान की मदद करते है | पहला एक आर्किट एक मकान को प्लान करता  है | एक मिस्त्री  ( manson ) ईटो और प्लास्टर से उनको बनाता है plumber ,water pipe etc बनाता है | कारपेंटर , खिड़की दरवाजे और अलमारी इत्यादी बनाते है एक मैकेनिक विधुततार , प्लग और स्विच आदि को fit करती है | painter ,सफ़ेद washing और painting करता है | हमे हवादार और प्रकाशवान घर में रहना चाहिए |



हमारा भोजन

 भोजन की आवश्यकता
भोजन हमारे लिए मूल आवश्यकता है ,हमे जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है | भोजन हमारी व्रधि ,मजबूती और स्वस्थ रहने में मदद करता है | भोजन हमे खेलने और काम करने के लिए ऊर्जा देता है |

भोजन के विभिन्न प्रकार
भोजन बिभिन्न रूपों का होता है | भोजन के प्रतयेक प्रकार के हमारे लिए special तरह से मदद करता है | भोजन जैसे -चीनी ,मक्खन ,रोटी ,आलू ,चावल ,दाले ,घी चपातियाँ आदि हमे energy देते है | भोजन जैसे मछलियाँ अंडे ,दूध ,पनीर और सब्जियां हमारी हड्डियों व मांसपेशियों को मजबूत बनता है | सव्जियो और फल हमे स्वस्थ रखते है | यह हमे वीमारी से बचाने में तथा ठीक रहने के लिए मदद करता है , कुछ सब्जियां जैसे ,गाजर ,टमाटर मूली आदि कच्चे सलाद की  तरह खाई जाती है | भोजन जैसे चावल , गेहूं ,दाले ,मीट मछलियाँ को कच्चा नही खाया जाता है | वे पकाये जाते है | पके भोजन मुलायम और पाचन में easy होते है | spice make them testiror .

सन्तुलित मात्रा क्या है
भोजन की मात्रा जिसे हम रोज खाते है | हमारी डाइट कहलाती है | एक आधार (D)  जिसमे सभी पदार्थ एक व्यक्ति को स्वस्थ बनाती है | सन्तुलित आहार कहलाता है | सन्तुलित आहार  स्वास्थय के लिए अच्छा होता है |

हम भोजन कब लेते है
 सुबह हम ब्रेकफास्ट लेते है हम ब्रेड के साथ चाय और दूध लेते है | और नाश्ते में मक्खन दोपहर में हम लंच लेते है | हम चावल , दाले चपाती , सवाजियाँ , दई ,इत्यादी लंच में लेते है | कुछ लोग मछली ,अंडे ,मीट इत्यादी खाते है | शाम को चाय के साथ बिस्कुट लेते है | रात में डिनर करते है |

अच्छी खाने की आदते
१-        हमे भोजन ठीक समय पर करना चाहिए |
२-        हमे खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोना चाहिए |
३-        हमे हमेशा साफ , तला और अच्छी तरह से पका हुआ खाना खाना चाहिए |
४-        रखा  हुआ और खुला हुआ भोजन हमे बीमार बनाता है |
५-        हमे ख़राब खाना नही खाना चाहिए |
६-        हमे खाना केवल तब खाना चाहिए ,जब हमे भूख महसूस करे |
७-        we should chew our food properly .
८-        हमे भोजन को ख़राब नही करना चाहिए |

भोजन कहाँ से आता है ?
चावल ,गेहूं ,दाले और सबजियाँ खेतो में उगते है | किसान उन्हें उगाते है | हमे दूध, अंडा ,मांस , मछली जानवरों से मिलता है | दूध हमे cattle milch से मिलता है | हमे अंडे मुर्गी से और मीट जानवरों से मिलता है | जैसे भेड़ ,बकरी , cattle और मछली |
मछली पानी में रहती है | मछुवारा उन्हें पकड़ता है | और हमे बेचता है |


ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

ग्लोबल वार्मिंग अर्थात् विश्वव्यापी तापक्रम वृद्धि से तात्पर्य विश्व के औसत तापक्रम में आई वृद्धि से है। आज पूरे विश्व के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है। ग्लोबल वार्मिंग के अंतर्गत अनावश्यक तापक्रम वृद्धि से उत्पन्न विश्वव्यापी खतरों को चिन्हित किया जाता है। विश्व के अधिकांश देशों ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को भाँप लिया है। ग्लोबल वार्मिंग ने अपनी प्रचंडता का प्रदर्शन करना प्रारंभ कर दिया है। दिन-व-दिन पृथ्वी गर्म होती जा रही है। ऐसा माना जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए सर्वाधिक विकसित एवं विकासशील देश जैसे सं0रा0अमेरिका, रूस, चीन, यूरोपीय देश एवं भारत जैसे देश इसके अंतर्गत आते हैं। परमाण्वीय तथा वैज्ञानिक प्रयोगों, लगातार बढ़ते प्रदुषणों आदि के कारण भूमण्डलीय तापक्रम तेजी से बढ़ रहा है। वाहनों तथा कल-कारखानों में अप्रत्याशित वृद्धि ने तो वायु प्रदुषण को अनियंत्रित कर दिया है। इससे वायुमंडल में कार्बन-डाय-आॅक्साइड एवं सल्फर डाय-आॅक्साइड जैसे विषाक्त गैसों की मात्रा में लगातार वृद्धि पराबैंगनी किरणों का अंश पृथ्वी तक पहुँचने लगा है और हम त्वचा संबंधी अनेक रोगों से ग्रसित होने लगे हैं। इससे ग्लोबल वार्मिंग विकराल रूप ले चुका है। मूल प्रश्न यह है कि आखिर समस्त विश्व ग्लोबल वार्मिंग के प्रति सजगता और एकजुटता क्यों प्रदर्शित करने लगे हैं? इसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले पूरे विश्व के अस्तित्व के खतरे से है। पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि से धु्रवों पर जमी बर्फ लगातार पिघल रही है और ग्लेशियर का हा्रस होता जा रहा है। इससे महासागरों के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे धु्रवीय क्षेत्रों में निवास करने वाले प्राणियों तथा पेड़-पौधों की अनेक प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो गई हैं या विलुप्तप्राय हैं। वर्षा के वितरण में असमानता उजागर होने लगी हैं। प्राकृतिक आपदाओं में अत्यन्त वृद्धि हुई है। ऐसा माना जाता है कि यदि इसी प्रकार से वनोन्मूलन संबंधी गतिविधियां सक्रिय रहीं तो दिन-व-दिन पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि होती ही जाएगी और वह दिन दूर नहीं कि धु्रवों पर जमी समस्त बर्फ पिघल जाएगी और पूरी पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी जिससे जीवों का अस्तित्व मिट जाएगा। जैसा कि हर समस्या का समाधान भी होता है वैसा ही ग्लोबल वार्मिंग का भी समाधान है। हमारी आपसी समझ-बूझ और संसाधनों के समझदारी से उपयोग से यह संभव है। हमें वृक्षारोपण संबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। हर उत्सव पर वृक्षारोपण को इसका अंग बनाना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के उन्मूलन हेतू हर राष्ट् को दीर्घव्यापी उपाय ढूँढना होगा। विभिन्न राष्ट्रों को अपना मानक तैयार करना होगा जिससे इसे नियंत्रण में रखा जा सके। अनावश्यक वैज्ञानिक गतिविधियों, वैज्ञानिक परीक्षणों, वाहनों की संख्या में होने वाले अप्रत्याशित वृद्धि, कल-कारखानों से उत्सर्जित पदार्थों को नियंत्रित करना होगा। इस प्रकार जन जागरूकता और आपसी सूझबूझ से ग्लोबल वार्मिंग के दैत्य को सदा सर्वदा के लिए समाप्त किया जा सकता है।अतः आज के युवाओं को प्रदुषण को नियंत्रित करने हेतू सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों में हिस्सेदार बनना चाहिए। उन्हें प्रदुषण को नियंत्रित करने हेतु जनजागरण के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना चाहिए। पूरे विश्व में अस्त्र-षस्त्रों की होड़ तथा गैर-जरूरी वैज्ञानिक गतिविधियों को प्रतिबंधित करना होगा तभी हम प्रदुषणरहित विश्व की कल्पना कर सकते हैं।

ग्रीन हाउस या ग्लास हाउस प्रभाव

सौर बिकिरण के सम्बन्ध में वायुमंडल के कार्य की तुलना ,ग्रीन हाउस , या ग्लास हाउस के कार्य से की जा सकती   हैं |   ग्रीन हाउस या ग्लास हाउस सूर्यातप को अन्दर तो आने देता है लेकिन ताप को इतनी आसानी से बाहर निकलने नही देता | ठीक इसी प्रकार वायुमंडल की बिभिन्न परतो में से होकर सुर्यातप आसानी से प्रवेश तो कर जाता है ,परन्तु वायुमंडल में बिधमान कार्बन डाइ ऑक्साइड एवं जलवाष्प जैसी गैसे इसे आसानी से बाहर निकलने नही देती हैं फलस्वरुप किसी भी स्थान के दिन और रात के तापमान में अत्यधिक अंतर नही होता है | वायुमंडल का यह  हरित गृह प्रभाव प्रथ्वी पर १५ ०c का औसत तापमान बनाए रखता है |
ग्रीन हाउस या ग्लास हाउस की आवश्यकता कृषि उत्पादन के लिए उन स्थानों पर होती है जहाँ कृषि की द्र्स्टी से तापमान न्यून रहते है | ग्रीन हाउस काँच का बना हुआ एक घर होता है लेकिन शीघ्रता से पार्थिव बिकिरण नही होने देता | इसलिए ग्रीन हाउस के अन्दर तापमान अधिक हो जाने पर फलों ,सव्जियो और फूलो को आसानी से उगाया जा सकता है | ग्रीन हाउस तथा वायुमंडल के कार्यो में साम्यता होने के कारण ही वायुमंडल को प्रथ्वी का  ग्रीन हाउस  कहते है तथा इसके प्रभाव को , ग्रीन हाउस प्रभाव , कहते हैं| 

मन्दिर

राजपूत काल की विशिष्टता विशाल संख्या में राजपूत शासकों द्वारा बनवाए गए मन्दिर है , जो कि भारत के बिभ्निन भागो में बिस्तृत है | राजपूत काल में बने प्रमुख मन्दिरों में से एक खजुराहो का मन्दिर समूह है| झाँसी के समीप स्थित खजुराहो के मन्दिरों का निर्माण चंदेल शासको के समय में हुआ था | यहाँ पर लगभग ३० मन्दिर है,जो कला की द्र्स्टी से उत्कर्ष कोटि के है | खजुराहो मन्दिर समूह में शिवजी का मन्दिर सर्वप्रमुख है,जिसकी ऊंचाई लगभग ११६ फुट है | खजुराहो के अतिरिक्त जोधपुर के समीप ओसिया में भी कुछ ब्राहाण तथा जैन मन्दिर है | चित्तौड़गढ में स्थित कालिका देवी का मन्दिर भी दर्शनीय है | उदयपुर में स्थित शिव मन्दिर का निर्माण भी राजपूत काल में ही हुआ था | उत्तर भारत के अतिरिक्त दछीण व पूर्वी भारत में भी राजपूत युग में अनेक मन्दिरों का निर्माण हुआ | जगन्नाथपुरी का मन्दिर उत्क्रष्ट कला का नमूना है | कोणार्क का सूर्य मन्दिर भी दर्शनीय है | इस मन्दिर पर २०० फुट ऊँचा शिखर था जो कि दुर्भाग्यवश अब नष्ट हो गया है | दछीण भारत  में तंजौर का गंगैकोन्ड़ोचोलपुरम का मन्दिर कला की द्र्स्टी से अत्यंत उच्चकोटि का है | राजपूत युग में निर्मित मन्दिरों में दो प्रकार की शैलियां देखने को मिलती है | आर्य शैली जिसको उत्तर भारतीय शैली भी कहा जाता है , के अंतर्गत मन्दिरों के शिखर वक्राकार व गोल है ,जबकि द्रबिण शैली में शिखर आयताकार खंडो से बनाए गए हैं | इस प्रकार ये पिरामिड के समान लगते है |