प्रस्तावना
भारत जैसा विकासशील रास्त्र आतंकबाद की समस्या से आज आन्तरिक एवं बाहा दोनों रूप से प्रभावित है जिससे विकास कार्यो में बाधा धन –जन की हानि तथा अन्य कई समस्याएं पैदा हो रही है | आतंकवाद आज भारत की सबसे बड़ी आन्तरिक सुरक्षा चुनौती के रूप में उभरा है | आतंकबाद वर्तमान विश्व की एक गंभीरतम समस्या हैं | भारत भी इससे अछूता नहीं है | भारत लगभग चार दशको से आतंकी समस्याओ से जूझ रहा है | वर्तमान में ये आतंकी समस्याऐ इतनी तेजी से उभरी है | कि कुछ लोग ऐसा कहने को मजबूर हो गए है | कि वर्तमान युग आतंकबादी की समस्या भारत को आन्तरिक एवं बाहा दोनों रूपों से प्रभावित कर रही है |
आतंकबाद से तात्पर्य
आतंकबाद एक ऐसी विचारधारा है , जो राजनैतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शक्ति या अस्त्र-शस्त्र के प्रयोग में विश्वास रखती है | अस्त्र-शस्त्रो का ऐसा घ्रणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग दल ,समुदाय या सम्प्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की द्र्स्टी से किया जाता है | अपने राजनैतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए आतंकबादी गैरक़ानूनी ढग से अथवा हिंसा के माध्यम से सरकार को गिराने तथा शासन-तन्त्र पर अथवा प्रभुत्व करने का प्रयास भी करते है | इस प्रकार ‘’आतंकबाद उस प्रर्वति को कह सकते है | जिसमे कुछ लोग अपनी उचित अथवा अनुचित मांग मनवाने के लिए घोर हिंसात्मक और अमानवीय साधनों का प्रयोग करने लगते है |
आतंकबाद के प्रमुख लक्षण –
उपरोक्त परिभाषाओ एवं व्याख्याओ के आधार पर आतंकबाद के निम्नलिखित लक्षण द्रस्टीगोचर होते है |
(१) यह राज्य या समाज के विरुद्ध होता है |
(२) इसे राजनीतिक उद्देश्यों या कार्यो की पूर्ति हेतु फैलाया जाता है | इसके लिए वे समाज का ध्यान आक्रष्ट करते है और गतिविधियों का सहारा लेते है |
(३) यह अवैध एवं गैर – क़ानूनी होता है |
(४) जन साधारण में वेबसी और लाचारी की भावना पैदा होती है |
(५) आतंकबादी क्रियाओ में हिंसा प्रयोग अथवा हिंसा के प्रयोग की धमकी सम्ल्लित होती है |
(६) राष्ट्र की सामान्य गतिविधियों में बाधा डालना ,निर्दोष लोगों की हत्या करके आतंक का वातावरण पैदा करना |
(७) आतंकबादी क्रियाओ किसी व्यक्ति , समूह , समाज अथवा शासन के विरुद्ध सम्पन्न की जाती है |
(८) यह आकस्मिक एवं असावधानी के साथ भी हो सकती है | परन्तु बहुधा यह सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित होती है |
(९) आतंकबाद बुद्धि संगत विचार को समाप्त कर देता है |
(१०) इसमे की गई हिंसा में मनमानी होती है | क्यूंकि पीडितो का चयन बेतरतीब एवं अन्धाधुन्ध होता है |
विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवर्तिया और आतंकबाद
आज लगभग पूरा विश्व आतंकबाद की चपेट में है | राजनैतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए सार्वजानिक हिंसा और हत्याओं का रास्ता अपनाया जा रहा है |अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ ० केनेडी और भारतीय प्रधानमंत्रियो
श्रीमती इंदिरा गाँधी तथा श्री राजीव गाँधी की न्रशंस हत्या , अमेरिका के हवाई जहाज में बम विस्फोट , अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर को दो वायुयानों की टक्कर से भस्मीभूत करना | भारत के हवाई जहाज का पाकिस्तान में अपहरण और भारतीय संसद पर हमला आदि घटनाएँ अन्तरास्ट्रीय आतंकबाद के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण है |
भारत में आतंकबादी गतिविधियां
१९१४ में प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ सेना के दो ही कार्य समझे जाते थे |
१ – भारत में आन्तरिक शांति बनाये रखना |
२ – आवश्यकता पड़ने पर युद्ध में इंग्लैंड की सेना की सहायता करना |
प्रथम विश्व युद्ध
प्रथम विश्व युद्ध में टैंक ,मोर्टर तथा वायुयानो का प्रयोग किया गया |उस समय पैदल सेना का महत्व फिर बढ गया | इस युद्ध में भारतीय सेनाये ,फ्रांस ,पूर्वी अफ्रीका तथा मिस्त्र आदि देशो में लड़ने गयी प्रथम विश्व युद्ध में सेना के बहुत से दोष प्रकट हुए | अतः इसमे अनेक परिवर्तन किये गए | १९ रेजिमेंट के सेण्टर खोले गए जिनका कार्य जवानों की भारती करना व ट्रेनिंग देना था | भारतीय प्रादेशिक सेना की स्तापना हुई | अफसरों के प्रशिक्षण हेतु १९२२ में मिलट्री कॉलेज खोला गया |
दित्या विश्वयुद्ध
३ सितम्बर १९३९ को जर्मनी ने पौलेड पर आक्रमण करके दित्या विश्वयुद्ध शुरू किया | जो कि हिरोशिमा व ९ अगस्त १९४५ को नागासाकी नगरों पर अमेरिका द्वारा अणु विष्फोट करने के बाद समाप्त हुआ | इस लड़ाई में प्रमुख लड़ाकू देश जर्मनी ,इटली और जापान आदि तझे | जिनके विरोध में अमरीका ,फ्रांस ,बेल्जियम ,हालैंड ,ब्रिटेन रूस आदि देश थे | इस युद्ध में नौसेना व वायुसेना ने भाग लिया तथा तनकों ,राकेटों तथा एटम बम का प्रयोग हुआ | इस युद्ध में हवाई शक्ति का महत्व बढ गया | इस युद्ध के दौरान सेना में भारतीय अफसरों की संख्या बहुत बड़ी | प्रशिक्षण स्कूल खोले गए | लड़ाई के लिए सामरिक संगठन कोर ,डीविजन व ब्रिगेड के रूप में संगठित किये गए | भारत को पूर्वी ,पशचमी ,दक्षिणी व मध्य कमान में बाटा अवरोही सैन्य निकाहो को कवचयुक्त निकाहो में परिवर्तित कर दिया गया तथा छाता धारी सैनिको को सेना में जोड़ा गया |
१५ अगस्त १९४७ को भारत स्वतंत्र हुआ ,तथा इसका विभाजन भारत व पाकिस्तान दो देशों के रूप में हुआ | पाकिस्तान को भारत का पश्चिमी हिस्सा व बंगाल में लगा हुआ मुस्लिम बहुत इलाका मिला | यह इलाके पश्चिमी पाकिस्तान व पूर्वी पाकिस्तान कहलाये | देश के विभाजन के साथ ही सेना का भी विभाजन हो लगभग १/३ सेना प्राप्त हुई |
आतंकबाद के विभिन्न रूप –
आतंकबादी घट्नाएं केवल भारत में ही नही ,वरन विश्वभर में हो रही है | ११ सितम्बर , २००१ को चार अमेरिकी विमानों का अपहरण करके उनमे से दो को वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर के ११० -११० मंजिलो दो टावरो से टकराकर उन्हें भस्मीभूत कर दिया गया | एक विमान अमेरिकी सेना के मुख्यलाय पेंटागन से भी टकराया गया | चौथा विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया | इस घटना में ५६०० लोगों की तुरंत मृत्यु हो गई | भारत में आतंकबाद ने एक गंभीर समस्या का रूप धारण कर लिया है | स्वतंत्र भारत में इसका प्रारम्भ बर्ष १९६९ के आस पास नक्सली विद्रोह से मना जा सकता है | इसके पश्चात् भारतीय आतंकबाद का सम्बन्ध अन्तराष्ट्रीय आतंकबाद से स्थापित हो गया | पहले अतंक्वादियो ने अपनी गतिविधियाँ ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्र तक नगरीय एवं अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों को वनाये लगे | आतंकबाद के कई प्रकार है किन्तु जिनका हम अपने देश में आज सामना कर रहे है वे है – पंजाब में खालिस्तान उन्मुखी आतंकबाद ,कश्मीर में उग्रवादियों का आतंकवाद ,बंगाल ,बिहार ,आंध्र प्रदेश में नक्सलवादी आतंकबाद तथा असोम में उल्फा और बोडो आतंकबाद | पंजाब में आतंकबाद धार्मिक आधार पर आधारित है | इसलिए पंजाब के आतंकबादीयों ने धर्म के आधार पर संगठित एवं प्रेरित होकर आतंकबादी गतिबिधियां की | वर्तमान समय में पंजाब में आतंकबादी गतिविधियां सामाप्त हो गई है| पंजाब द अतीत की बात बनता जा रहा है | परन्तु बिभिन्न अकाली दल गुट अब भी प्रथक पंजाब की मांग दुहराते ही रहते है | इसलिए लोगों के मन में आज भी भय बना हुआ है | कश्मीरी उग्रवाद ने आज नया रूप धारण कर लिया है | आज यह कश्मीर तथा पूरे देश में राजनितिक अस्थिरता पैदा करना चाहता है ,इसलिए अतंक्वादियो ने वहां रक्त युद्ध चला दिया | आतंकबादीयों द्वारा आतंक फैलाकर हिन्दुओ को कश्मीर छोड़ने के लिए बाह्य किया जा रहा है | हिजबुल मुजाहिददीन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रन्ट आदि उग्रवादी संगठन पाकिस्तान द्वारा समर्थित है तथा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में ये प्रशिक्षण एवं कैम्प चला रहे हैं | जहाँ उग्रबदियों को वाकायदा प्रशिक्षण एवं दिए जाते है | ये आजाद कश्मीर की मांग कर रहे है,और पाकिस्तान में विजय की मांग अन्य उग्रवादियों समूहों ,जैसे मुस्लिम जप्रेम्बल और इकवाने मुसलमान भी है | सब उग्रवादियों में यह भावना है की उन्हें एक समान शत्रु भारतीय सैन्य शक्तियो क्ले विरुद्ध एक होना है | असोम आतंकबाद बर्ष १९८० में उभरकर सामने आया | असोम आन्दोलन और असोम में आतंकबाद ,विदेशियों को बाहर निकलने के उद्देश और उनके नाम निर्वाचन संचियों से हटाने की मांग कर रहे है | आज विश्व में जहाँ कही भी आतंकबाद है वह लगभग इस्लामी कट्टरवादियों की ही देन है | वर्तमान में विश्व में अनेक ऐसे ,इस्लामी संगठन है जो इस्लाम खतरे में है, का नारा लगते है | और इस्लाम के तथाकथित शत्रुओ को समाप्त करने के लिए जेहादी आन्दोलन छेड़े हुए है | इस्लामी आतंकबाद चाहे वह अलकायदा की ओर चला जा रहा हो या हमारा की ओर से या हिबुल्ल्लाह की ओर से अथवा अलगाया इस्लामियों की ओर से इन सभी का एकमात्र उद्देश्य यह है की विश्व के जो भी से इन सभी का एकमात्र उद्देश्य यह है की विश्व के जो भी रास्ट्र शरियत के मुताबिक नहीं चलाये जा रहे है तथा शरियत के अधीन नही है उन सभी राष्ट्रों की सरकारों का बलपूर्वक पलट दिया जाए |
हिंसा फ़ैलाने वाले आतंकबाद
हिंसा के द्वारा जनमानस मे भय या आतंक पैदा कर अपने उददेशो को पूरा करना आतंकबाद है | यह उददेश राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक ही नही समाजिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है | वैसे तो आतंकबाद के कई प्रकार है ,किन्तु इनमे से तीन ऐसे है जिनसे पूरी दुनिया अत्यधिक त्रस्त है | ये तीन आतंकबाद है | राजनीतिक आतंकबाद ,धार्मिक कट्टरता एवं गैर – राजनीतिक या सामाजिक आतंकबाद | श्रीलंका में लिटटे समर्थको एवं अफगानिस्तान में तालिवानी संगठनों की गतिविधियां राजनीतिक आतंकबाद के ही उदाहरण है | अलकायदा , लश्कर –ए -तएबा , जैश –ए मोहमद जैसे संगठन घार्मिक कट्टरता की भावना से अपराधिक क्रत्यो को अन्जाम देते है ,अतः ऐसे आतंकबाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है | अपनी सामाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न समाजिक क्रन्तिकारी विद्रोह को गैर –राजनीतिक आतंकबाद की श्रेणी में रखा जाता है | अपनी समाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न समाजिक क्रन्तिकारी विद्रोह को गैर – राजनीतिक आतंकबाद की श्रेणी में रखा जाता है |
भारत सरकार द्वारा चलाये गए अधिनियम
आतंकबाद को समाप्त करने हेतु सरकार द्वारा बिभिन्न उपाय किए गए है | आतंकबादी व अलगाववादी ताकतों से निपटने के लिए भारत सरकार ने बर्ष १९८५ में एक कानून ; आतंकबादी ;एवं विध्वंसक गतिविधि रोकथाम अधिनियम जोकि संषेप में ,टाटा, के नाम से जाना जाता है ,पारित किया था किन्तु बाद में अतान्क्बदियो की गतिविधियों को गंभीरता से देखते हुए यह अनुभव किया गया की एक और कानून पारित किया जाए | अतः इसके बाद बर्ष १९९९ में टाटा के स्थान पर एक नया आतंकबाद निरोधक कानून (पोटा) को पारित किया गया जिनका विवरण निम्नलिखित है ,
टाडा भारत सरकार ने आतंकबाद और आतंकबादी गतिविधियों से निपटने हेतु आतंकबादी एवं विध्वंसक गतिविधि रोकथाम एक्ट , टाडा नाम से कानून बनाया है | इस कानून में आतंकबादीयों को दण्डित करने के अतिरिक्त मनोनीत न्यायालयों की स्थापना के लिए भी प्रावधान है , लेकिन इस कानून के बहुत दुरूपयोग की बात बिभिन्न मंचो पर दोहराई गई | इसलिए अंततः टाडा को बर्ष १९९७ में समाप्त कर दिया |
पोडा ,पोडा ,टाडा का ही एक रूप है जिसे २५ अक्टूबर ,२००१ को लागू किया गया था | इसके अंतर्गत कुल २३ आतंकबादी और अतान्क्बदियो से सम्बंधित सूचना को छिपने वालो को भी दण्डित करने का प्रावधान किया गया है | पुलिस शक के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है , किन्तु बिना आरोप –पत्र के तीन माह से अधिक हिरासत में नही रख सकती | पोटा के अंतर्गत गिरफ्तार व्यक्ति हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट में अपील कर सकता है ,लेकिन यह अपील भी गिरफ़्तारी के तीन माह बाद ही हो सकती है | २१ सितम्बर , २००४ को इसको अध्यादेश के द्वारा समाप्त कर दिया गया |
भारत में आतंकबादी गतिविधियाँ –
विगत दो द्शाबधियो में भारत के पंजाब , बिहार ,असम , बंगाल ,जम्मू –कश्मीर आदि कई प्रान्तों में आतंकबादियों ने व्यापक स्तर पर आतंकबाद फैलाया | १० मार्च , १९७५ ई० को भारत के भूतपूर्व न्यायधीश श्री ए० एन० राय की हत्या का प्रयास किया गया | बिहार के पूर्व रेलवे मन्त्री श्री ललितनारायण मिश्र , पं० दीनदयाल उपाध्याय , श्रीमती इन्दिरा गांघी , श्री राजीव गाँधी , श्री लोगोवाल , भूतपूर्व सेनाध्यक्ष श्री अरुण श्रीधर वैध , पंजाब –केसरी के सम्पादक लाला जगतनारायण , कश्मीर विश्वविधालय के कुलपति श्री मुशीर –उल –हक आदि देश के अनेक गणमान्य व्यक्तियों को आतंकबादीयों ने मौत के घाट उतार दिया | पंजाब और कश्मीर में पाकिस्तान – प्रशिक्षित अतान्क्बदियों द्वारा कई बर्षो से निर्दोष लोगो की हत्याओ का सिलसिला जारी है ,और आज भी वे ऐसा करने से नही चूक रहे है | १० अगस्त , १९८६ ई० को अतान्क्बदियों द्वारा इण्डियन एयरलाइन्स का एक हवाई जहाज गिरा दिया गया ,जिसके फलस्वरूप ३२९ यात्रियों की तत्काल मृत्यु हो गई | १९९५ ई० में जम्मू में आतंकबादीयों द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह के अबसर पर किया गया विस्फोट , तिनसुकिया मेल में बम बिस्फोट ; चरोर – शरीफ दरगाह अग्निकांड ; ७ मार्च , १९९७ ई० को फिल्म निर्माता – निर्देशक मुकेश दुग्गल की हत्या ; २२ मार्च , १९९७ ई० को ७ कश्मीरी पंडितो की हत्या ; २९ मार्च ,१९९७ को जम्मू में भीषण बम बिस्फोट में २५ लोगों की म्रत्यु ; ७ मई , १९९७ ई० को त्रिपुरा में १६ जवानों की हत्या ; १२ अगस्त ,१९९७ ई० को टी – सीरिज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या ; १९ नबम्बर १९९७ ई० को हैदराबाद में एक कार बम विस्फोट में टी ० वी ० कैमरा दल के ६ सदस्यों एवं एक पत्रकार सहित २३ लोगों की हत्या ; २ दिसम्बर , १९९७ ई० को रणवीर सेना के हमलावरों द्वारा बिहार में ६५ व्यक्तियों की हत्या ; १४ फ़रवरी ,१९४८ ई० कोयम्बटूर में भाजपा अध्यक्ष श्री लालक्रश्ण आडवाणी की हत्या का प्रयास ; २० जून , १९९९ को अनंतनाग में १५ हिन्दू मजदूरों की हत्या ;२८ जून १९९९ ई० को पुच्छ में १७ लोगो की हत्या ; २४ दिसम्बर १९९९ ई० को इण्डियन एयरलाइन्स के विमान का अपहरण ; २० फ़रवरी , २००० ई० को बारूदी सुरंग फटने से जगदलपुर में २३ पुलिसकर्मीयों का शहीद होना ;२८ फ़रवरी , २००० ई० को जम्मू में ५ हिन्दुओ की निर्मम हत्या , ३ मार्च , २००० ई० को जम्मू से आ रही बस में विस्फोट होने से ९ यात्रियों की दर्दनाक मौत ; २० मार्च , २००० की रात्रि को अनन्तनाग जिले में सिक्खों की आबादीवाली बस्ती चिट्टीसिंहपुरा में ३५ सिक्खों की सामूहिक हत्या ,१३ दिसम्बर ,२००१ को भारतीय संसद पर हमला, जिसमे पांचो आतंकबादी मारे गए और छह सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए आदि घटनाएं इस तथ्य का स्पस्ट संकेत देती है | कि भारत में आतंकबाद का घ्रणित सिलसिला निरन्तर बढता ही जा रहा है |
नक्सलवादी आतंकबाद –
नक्सलवादी आन्दोलन जो पहले अपने हक की लड़ाई के रूप में आरम्भ हुआ था | वह आज यदि सशस्त्र आतंकवाद का रूप ले चुका है तो इसके पीछे भी कुछ कारण है | आदिवासी क्षेत्रो में निर्धनता , बेरोजगारी , अशिक्षा ,कुपोषण और अज्ञानता के कारण भी नक्सलवाद को बढावा मिला है अथवा कुछ स्वार्थी लोग उन्हें बरगलाकर अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहे है | यधपि भारत सरकार ने दलितों , आदिवासियों एवं कृषक समुदाय के हितो के संरक्षण हेतु कई कानून पारित किए है , किन्तु अब तक उन्हें समुचित रूप से लागू नही किया जा सकता है | भू – स्वामियों का भूमि पर अवैध कब्ज़ा एवं सूदखोर महाजनों द्वारा आदिवासियों एवं दलितों का शोषण भी नक्सलवाद को बढाने के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है | नक्सलवाद आतंकबाद का रूप ले चुका है इसलिए इसका शीघ्र समाधान आवश्यक है , किन्तु देश के लगभग तीस हजार नक्सलवादियों को न तो गिरफ्तार कर जेल भेजा जा सकता है | और न ही उन सबको मौत की सजा देना इस समस्या का समाधान होगा | नक्सलवाद की समस्या का सही समाधान यही हो सकता है , कि जिन वजहो से इसमे व्रधि हो रही है , उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाए | इसमे आदिवासी इलाकों के विकास से लेकर आदिवासी युवक – युवतियों को रोजगार मुहैया कराने जैसे कदम अत्यधिक अपने हक के लिए भी लड़ रहे है ऐसे इलाकों की पहचान कर उन्हें उनका अधिकार प्रदान करना अधिक उचित होगा | कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है कि नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिए व्यापक रणनीति बनाते हुए आदिवासी इलाकों का विकास करना अत्यंत आवश्यक है |नक्सली आतंकबाद की शुरुआत बर्ष १९६७ में पश्चिम बंग से हुई | नक्सलवादी आतंकबाद को प्रशिक्षित कर बढावा देने में चीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है | चारू मजूमदार भारत में नक्सलवाद को पोषित करने में अग्रणी रहे है | नक्सलवादी आन्दोलन भूमिहीन श्रमिको के हितो की रक्षा करने के लिए प्रारम्भ हुआ | नक्सलवादी जमींदारो , साहूकारों और पुलिस अधिकारियो को अपना निशाना बनाते है | और उन्हें मार देते है |
कुछ प्रमुख आतंकी घटनाएं
आतंकबाद ने भारत ही नही अपितु विश्व के लिए कितना खतरनाक रूप धारण कर लिया है इसकी बानगी इन दरिंदो द्वारा अन्जाम दी गई कुछ घटनाओ से ही दी जा सकती है अब तक की सबसे खतरनाक घटना है अमेरिका के वर्ल्ड सेंटर और प्रमुख सेना मुख्यालय पेंटागन पर 11 सितम्बर ,२००१ में विमान को अपहरण करके किया गया हमला | इस आतंकबादी हमले में ६०० लोगो की मौत हो गई थी और कितने हजारो करोड़ डालर की माली क्षति हुई इसका हमला अनुमान आज तक भी नही लगाया जा सका |
पिछले एक दशक में आतंकबादीयों द्वारा कई चर्चित घटनाओ को अन्जाम दिया गया |
(१) आतंकबादी इतिहास का सबसे भयानक हमला ११ सितम्बर ,२००१ को विमान को अपहरण करके अमेरिका के सैनिक मुख्यालय ,पेंटागन और ; विश्व व्यापार केंद्र ; पर किया गया था | इस आतंकबादी घटना में हजारो लोगो की मौत के मुख में जाना पड़ा था |
(२) (१३ दिसम्बर , २०१० ) विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रीय देश भारत के संसद भवन पर आत्मघाती आतंकबादीयों ने अत्यंत दुसहस्सिक हमला किया जिसमे छः सुरक्षा जवान सहित सात मारे गए और २१ लोग घायल हुए |
(३) इन्ही घटनाओ के सिलसिले में २२ जनवरी , २००२ को कोलकाता स्थित अमेरिकन सेन्टर पर अत्याधुनिक हथियारों से लैस दो मोटरसाईकिलो पर सवार चार आतंकबादीयों ने सुबह के समय हमला किया जिसमे चार पुलिसकर्मी मौके पर ही शहीद हो गए थे |
(४) २६ नबम्बर ,२००८ को भारत की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुम्बई जैसे महानगर में स्थित महत्वपूर्ण स्थानों पर हुई दिल दहला देने वाली आतंकबादीयों की इस घटना में लगभग २०० लोगो ने अपनी जान गवांई थी जिनमे से लगभग २२ लोग विदेशी नागरिक भी थे |
आतंकबाद के उददेश्य
आतंकबादीयों के उददेश्य प्रत्येक आन्दोलन के साथ बदल सकते है , परन्तु आतंकबाद के मुख्य उददेश्य सभी आतंकी आन्दोलनों में एक ही होते है | उनका मूल उददेश्य भय पैदा करना होता है | शासन को प्रतिक्रिया और अति प्रतिक्रिया दिखने के लिए प्रेरित करना | सरकार को आतंकबादीयों की मांग को मनवाने के लिए बाध्य करने हेतु प्रतिक्रीया की आवस्यकता होती है |जिसके परिणामस्वरूप एवं अंधाधुन्ध प्रतिक्रिया की जाती है | सरकारों के द्वारा निजी सुरक्षा प्रयोग किये जाने तथा संभ्रांत लोगो को दिए जाने के कारण जनता अपने को असुरक्षित महसूस करती है | जनता के समर्थन संगठित करना और संभावित समर्थको को और अधिक आतंकबाद के लिए प्रेरित करना और अधिक व्यक्तियों को उसमे शामिल करना अतान्क्बदियो का उददेश्य होता है | विरोधियों और मुखाबिरो को ख़त्म करना ,आन्दोलन के खतरे को दूर करना , अनुयायियों के अनुसरण को सुनिश्चित करना भी उनका उददेश्य होता है | इसके साथ –ही साथ अपने उददेश्य और शक्ति का प्रचार कर सकते है
(१) अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए अलग राज्य की मांग करना |
(२) अपनी राजनीतिक महत्वाकंशाओ की पूर्ति के लिए आतंकबाद का सहारा लेना |
(३) किसी देश को नीचा दिखाने , उसकी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के लिए उस पर आतंकबादी हमले करना |
(४) किसी देश की राजनीतिक कूटनीति के कारण हुए नुकसान का बदला लेना |
(५) सरकार द्वारा किसी क्षेत्र बिशेष की लम्बे समय तक उपेक्षा से त्रस्त होकर उस क्षेत्र के निवासियों द्वारा कुंठित होकर सरकार का हिंसक विरोध करना |
(६) पूरे विश्व पर अपने धर्म का वर्चस्व स्थापित करना |
भारत में नक्सलवाद गैर –
राजनीतिक आतंकबाद का उदाहरण है | आतंकबादी हमेशा आतंकबाद फ़ैलाने के नये –नये तरीके आजमाते रहते है | भीड़ भरे स्थानों ,रेलवे , बसों इत्यादी में बम विस्फोट करना , रेलवे दुर्घटना करवाना इत्यादी , वायुयानों का अपहरण कर लेना , निर्दोष लोगो या राजनीतिक को बन्दी बना लेना , बैंक डकैतिया करना इत्यादी कुछ ऐसी आतंकबादी गतिविधियाँ है | जिनसे पूरा विश्व पिछले कुछ दशको से त्रस्त रहा है |
आतंकबाद के व्यावहारिक दुष्परिणाम –
आतंकबाद से अनेक प्रकार के दुष्परिणाम हो रहे है जिनमे से कुछ प्रमुख तथ्यों का अति संक्षेप में विवरण इस प्रकार है
(१)आतंकबाद व्यापक रूप से सम्पूर्ण मानवीय सभ्यता व मानवेचित गुणों ; जैसे दया ,सहयोग , सहानभूति , सुख व शांति को नष्ट करता है तथा आम लोगों में आतंक ही फैलता है | लोगो के दिल में डर और असुरक्षा की भावना को पैदा करता है जिसके फलस्वरूप लोग अपना स्वाभविक जीवन नहीं जी पाते है |
(२) आतंकबाद से देश में जान और माल की अथाह क्षति होती है | जनता व सरकार की अरबो की सम्पत्ति नष्ट होती है और लाखो लोग मारे जाते है | इसके अलावा यह देश की सम्रद्धि की सभी सम्भाबनाओ को नष्ट कर
देता है जिससे देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो जाती है और अगर प्रगति में बाधा पहुँच रही है , तो इसके दुष्परिणाम भयावह हो सकते है |
(३) आतंकबाद के कारण देश की औधोगिक प्रगति में बाधा पहुंचती है जिससे विदेशी निवेशक उस देश में पूंजी नही लगाते जहाँ आतंकबाद का खतरा होता है | इसलिए आतंकबाद से निपटने के लिए सरकार को सैनिक बल व पुलिस बल को बढाने के लिए काफी धन खर्च करना पड़ता है जिस कारण जनकल्याणकारी कार्यक्रमों में कटौती करनी पडती है |
इसके अतिरिक्त आतंकबाद अन्य कई रूपों में अपने दुष्परिणाम को फैलाता है ; जैसे
सामाजिक दुष्परिणाम :-
जिसके अंतर्गत साम्प्रदायिक सदभाव एवं राष्ट्रीय एकता को खतरा सामाजिक एवं पारिवारिक विघटन आदि आते है |
आर्थिक दुष्परिणाम :-
इसके अंतर्गत निर्धनता एवं बेरोजगारी , उधोग – धंधो का विनाश तथा आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न होना आदि आते है |
राजनीतिक दुष्परिणाम :-
इसके अंतर्गत राजनीतिक व्यवस्था के प्रति जनता में अंधविश्वास की बढोतरी , अन्तराष्ट्रीय सम्बन्धो का बिगड़ना तथा सरकारों की अस्थिरता आदि आते है | उपरोक्त विवरणों के अतिरिक्त आतंकबाद बढने से किसी भी देश में कार्यशील जनसंख्या का हास होता है | देश में पर्यावरण प्रदूषण बढता है | देश की सुरक्षा पर ही आय का एक बहुत बड़ा भाग खर्च होने लगता है | पुलिस और सेना वी आई पी लोगो की सुरक्षा में तैनात हो जाती है | समाज में अपराध बढने लगते है और देश की सीमाओं की सुरक्षा का दबाव बढ़ जाता है |इन परिस्थितियों में कोई भी देश अपनी जनता के हित के बारे में विचार ही नही कर पाता |
आतंकबाद का समाधान
आतंकबाद का स्वरुप या उददेश कोई भी हो , इसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो , किन्तु यह तो स्पष्ट है की इसने हमारे जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है | आतंकबाद नव- जाति के लिए कलंक है , इसलिए इसका कठोरता से दमन करना चाहिये | भारत सरकार ने आतंकबादी गतिविधियों को बड़ी गंभीरता से लिया है और इनकी समाप्ति के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए है | भारत की संसद ने आतंकबाद – विरोधी विधेयक , पारित कर दिया है , जिसके अंतगर्त आतंकबादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्तियों को कठोर-से-कठोर दण्ड देने की व्यवस्था की गई है | आतंकबाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैनिक दोनों ही स्तरों पर किया जाना चाहीए | जिन लोगो को पीड़ा हुई अथवा जिनके परिवार अथवा संपत्ति को नुकसान हुआ है तथा जिनके सम्बन्धियों और रिश्तेदारों की मृत्यु हुई है ; उन्हें भरपूर मानसिक समर्थन दिया जाना चाहिए , जिससे उनके घाव हरे न रहे और वे मानसिक पीड़ा के बोझ को सह न सकने की स्थिति में स्वयं भी अतन्क्बादी न बन जाए | आतंकबाद और अलगाववाद की समस्या से प्रभावी ढंग से निबटने के लिए आवश्यक है की सरकार के प्रति जनता में विश्वास जगाया जाए | इसके अतिरिक्त जहाँ एक ओर आतंकबादीयों के साथ कठोर व्यवहार करना होगा , वही गुमराह युवको को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश भी करनी होगी | आतंकबादीयों से निपटने के लिए अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किये जाने चाहिए | अनेक देशो के राजनेताओ ने आतंकवाद की भत्सर्ना की है | आवश्यकता इस बात की है की सभी देश एक मत से आतंकबाद को समाप्त करने का द्रढ संकल्प ले | विश्व की सभी सरकारों को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आतंकबाद के विरुद्ध पारस्पारिक सहयोग करना चाहिए , जिससे कोई भी आतंकबादी गुट किसी दूसरे देश में शरण या प्रशिक्षण न पा सके |
आतंकवाद एवं मादक पदार्थो की तस्करी :-
बंग्लादेश में हाल के बर्षो में कट्टरपंथी तत्वों का प्रभाब बढा है | वहां अलकायदा और आईएसआई के नेटवर्क के विस्तार की खबरे भारत को चिंतित कर रही है | पूर्वोतर के बिभिन्न अलगाववादी संगठनो के ट्रेनिंग कैम्प बंगलादेश में स्थित है , जबकि बांग्लादेश का कहना है | कि आतंकबाद और अलकायदा नेटवर्क के नाम पर भारतीय मीडिया और नेता उसकी अंतराष्टीय छवि ख़राब कर रहे है |
आतंकवाद के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दू :
(१) भारत – अमेरिका दोनों आतंकबाद से त्रस्त है | आतंकवाद का उन्मूलन दोनों मिलकर कर सकते है और इस्लामी आतंकवाद को समाप्त कर सकते है |
(२) मानव – मन में विधमान भय प्रायः उसे निष्क्रिय और पलायनवादी बना देता है इसी भय का सहारा लेकर समाज का व्यवस्था –विरोधी वर्ग अपने दूषित और निम्नस्तरीय स्वार्थो की सिद्धि के लिए समाज
में आतंक फैलाने का प्रयास करता है |
(३) स्वार्थ सिद्धि के लिए यह वर्ग हिंसात्मक साधनों का प्रयोग करने से भी नही चूकता | इसी स्थिति से आतंकबाद का उदय होता है |
(४) हमारे देश में महान देशभक्तो आतंकबाद के विरुद्ध बहुत कार्य किये |
(५) भारत के अनुसार , जनमत संग्रह अब सम्भव नही है , कश्मीर समस्या मूलतः पाक प्रयोजित आतंकवाद के कारण है |
(६) आतंकवाद और सीमा विवाद के समाधान के लिए नियमित अन्तराल पर महानिदेशक स्तर की बैठक आयोजित की जा रही है |
(७) पूर्वोत्तर में आतंकवादी गतिविधियों के संदर्भ में बातचीत चल रही है | बांग्लादेश ने इस बात पर सहमति प्रकट की है कि आतंकवादी खतरे से निपटने के लिए दोनों देशो के बीच सहयोग हो |
(८) भारत –अमेरिका दोनों आतंकवाद या इस्लामी आतंकवाद से ग्रसित है ,आतंकवाद उन्मूलन के लिए दोनों एक – दूसरे को अपना सहयोगी मानते है|
(९) भारत भी १३ दिसम्बर संसद पर हमले तथा २६/११ मुम्बई आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका से आतंकवाद उन्मूलन के बारे में हरसम्भव सहयोग देने का आश्वासन दिया है | इस सन्दर्भ में दोनों देशो के मध्य एक ल्वांट वर्किग ग्रुप का भी गठन किया गया है |
(१०) २६/११ मुम्बई आतंकवादी घटना ( नवम्बर ,२००८ ) के कारण जब भारत ने अमेरिका से पाक को नियंत्रित करने के लिए कहा , तो अमेरिका ने भारत को आतंकवाद उन्मूलन के लिए हर प्रकार से समर्थन की घोषणा की | दूसरी ओर पाकिस्तान का सहयोग प्राप्त करने के लिए कैरी –लूगर बिल लाने की घोषणा की | इस प्रकार स्पष्ट है कि बर्ष १९९१ के बाद भी अमेरिका एकपक्षीय भारत समर्थन नीति नही अपना रहा है | वह आज भी पच्छिमी एशिया और
अलकायदा के उन्मूलन के लिए पाकिस्तान को महत्वपूर्ण मानता है |
(११) १३ दिसम्बर ,२००१ को पाक आतंकवादियो ने भारतीय लोकतंत्र के दुर्ग भारतीय संसद पर हमला किया ,तो अमेरिका ने पुनः सन्तुलन की कूटनीति का प्रयोग करते हुए , एक ओर पाक को भारत में आतंकवाद प्रोत्साहन में कमी लाने को कहा ,तो दूसरी ओर अफगानिस्तान कार्यवाही में सहयोग के लिए उसे F-१६ लड़ाकू विमानों की आपूर्ति का आश्वासन दिया |
उपसंहार :
यह कैसी विडंबना है | की बुद्ध , गुरुनानक और महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों की जन्मभूमि पिछले कुछ दशको से सबसे अधिक अशांत और हिंसात्मक हो गई है | अब तो ऐसा प्रतीत होता है | की देश के करोड़ो नागरिक ने हिंसा की सत्ता को स्वीकारते हुए उसे अपने दैनिक जीवन का अंग मान लिया है | भारत के बिभिन्न भागो में हो रही आतंकबादी गतिविधियों ने देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है | आतंकबाद का समूल नाश ही इस समस्या का समाधान है | प्रस्तावना भारत जैसा विकासशील रास्त्र आतंकबाद की समस्या से आज आन्तरिक एवं बाहा दोनों रूप से प्रभावित है जिससे विकास कार्यो में बाधा धन –जन की हानि तथा अन्य कई समस्याएं पैदा हो रही है | आतंकवाद आज भारत की सबसे बड़ी आन्तरिक सुरक्षा चुनौती के रूप में उभरा है | आतंकबाद वर्तमान विश्व की एक गंभीरतम समस्या हैं | भारत भी इससे अछूता नहीं है | भारत लगभग चार दशको से आतंकी समस्याओ से जूझ रहा है | वर्तमान में ये आतंकी समस्याऐ इतनी तेजी से उभरी है | कि कुछ लोग ऐसा कहने को मजबूर हो गए है | कि वर्तमान युग आतंकबादी की समस्या भारत को
आन्तरिक एवं बाहा दोनों रूपों से प्रभावित कर रही है |