जल (water)
प्राचीन काल में
जल को एक तत्व समझा जाता था | सन १७८१ में हेनरी कैवेन्दिश ने सिद्ध किया की जल ,हाइड्रोजन
तथा ऑक्सीजन का एक यौगिक है | जो हाइड्रोजन के वायु (या ऑक्सीजन )में जलने से बनता है | तब इसे हाइड्रोजन तथा मोनो ऑक्साइड के नाम से
जाना जाने लगा | इसका अणु सूत्र H२O है |
तथा अणु द्रव्यमान १८ है | प्रकति में जल
सर्वाधिक सुलभ तथा सरल यौगिक है | जो व्यापक रूप से पाया जाता है | प्रथ्वी तल का
लगभग ७५.१ % भाग जल से घिरा है | तथा मानव शरीर में लगभग ७० % भाग जल है |
जल के
प्राक्रतिक स्तोत्र
प्रकति में जल
तीन अवस्थाओं_ ठोस (जैसे बर्फ व ओले) , द्रव (जैसे ,प्राकतिक जल व बर्षा ) तथा गैस
( जैसे जल वाष्प ) में पाया जाता है | जल के प्रमुख प्राकतिक स्त्रोत्र निम्नलिखित
चार है: (१) बर्षा का जल , (२) भूमिगत जल (या कुएँ व झरने का जल ) , (३) नदी का जल
तथा (४) समुद्र का जल | इनमे भिन्न-भिन्न अशुद्धियाँ भिन्न-भिन्न मात्रा में पाई
जाती है |
(१)
बर्षा का जल_ यह सबसे अधिक शुद्ध होता है |
इसमे आमतौर पर अमोनिया , सल्फर डाइऑक्साइड , कार्बन डाइऑक्साइड गैसों के अतिरिक्त
ठोस अशुद्धियां बहुत कम (लगभग ०.००५ %) होती है |
(२)
भूमिगत जल_ झरने तथा कुएँ का जल भूमिगत जल
कहलाता है | इसमे कार्बन डाइऑक्साइड के अतिरिक्त सोडियम ,पोटैशियम , आयरन
,कैल्सियम ,मैग्निशियम तत्वों
के विलेय लवण होते है जिससे इस जल में एक विशेष स्वाद होता है | इसे खनिज जल भी
कहते है |
(३)
नदी का जल_ यह भूमिगत जल की अपेक्षा अधिक
अशुद्ध होता है | इसमे विलेय तथा अविलेय खनिज लवण कार्वानिक पदार्थ तथा जीवाणु
मिले होते है | मिट्टी आदि असुधियों के कारण यह जल मटमैला हो जाता है |
(४)
समुद्र का जल_ यह जल अधिकतम अशुद्ध जल है |
इसमे साधारण नमक , पोटेशियम के क्लोराइड , ब्रोमाइड तथा आयोडाईड लवण काफी मात्रा
में मिले होते है | इसमे ठोस असुधियाँ लगभग ३.६ % होती है |
पेय जल
वह जल जो पीने
के उपयोग में लाया जाता है , पेय जल कहलाता है | पेय जल स्वच्छ , रंगहीन , गंधहीन
तथा स्वादिष्ट होना चाहिये | यह हानिकारक जीवाणुओ , अपद्रव्यो , रोगाणुओं आदि से
मुक्त होना चाहिये | इसमे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक खनिज लवण तथा काबर्न
डाइऑक्साइड भी घुली होनी चाहिये | प्राक्रतिक जल पीने योग्य नहीं होता है |
क्यूंकि इसमे अनेक विलेय तथा अविलेय अशुद्धियो के अतिरिक्त सूक्ष्म जीवाणु व
रोगाणु होते है | जो अनेक रोग जैसे दस्त ,हैजा , मियादी बुखार आदि पैदा कर सकते है | पेय जल बिलकुल शुद्ध होना चाहिये
|
पेय जल के गुण_ पेय जल में
निम्नलिखित गुण होने चाहिये |
(१)
यह रंगहीन ,गंधहीन तथा पारदर्शी होना चाहिये |
(२)
यह शुद्ध होना चाहिये अर्थात इसमे कोई विलेय अथवा
अविलेय अशुद्धि नही होनी चाहिये |
(३)
यह स्वचछ होना चाहिये |
(४)
इसमे कीटाणु तथा रोगाणु नही होने चाहिये |
(५)
इसमे हानिकारक पदार्थ जैसे अमोनिया , नाइट्रेट
, नाइट्राइट आदि लवण नहीं होने चाहिये |
(६)
इसमे
स्वस्थ के लिए लाभदायक खनिज लवण तथा कार्बन डाइऑक्साइड घुली हो सकती है
जिससे इसमे कुछ स्वाद आ जाता है | उबला हुआ जल तथा आसुत या बर्षा का जल अच्छा पेय
जल नही होता है क्यूंकि इसमे खनिज लवण नही होते है , अतः यह स्वादिष्ट एवं
स्वस्थयप्रद नही होता है | कुएं के जल में खनिज लवण अधिक घुले होने पर जल खारा हो
जाता है | साधारण कठोर जल (जिसमे हानिकारक विलेय अशुधियां न हो ) पीने के लिए
उत्तम होता है | म्रदु जल भी पीने के योग्य नही होता है |
जल का आयतनीय
संगठन
जल एक यौगिक है
, मिश्रण नही_ ऑक्सीजन का एक परमाणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओ से रासायनिक संयोग
करके जल का अणु बनाता है | इस प्रकार
जल हाइड्रोजन का मोनोऑक्साइड है | इसका
अणु सूत्र H२O है | तथा अणु द्रव्यमान १८ है | जल में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का द्रव्यमान
के अनुसार अनुपात १:८ अथवा अय्तनात्मक
अनुपात २:१ होता है | जल के अणु उसके अवयवो हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से
सर्वथा भिन्न होते है ,अतः हम कह सकते है की जल एक यौगिक है |
जल के उपयोग
जल एक अत्यंत
उपयोगी पदार्थ है | इसके कुछ प्रमुख उपयोग निम्नलिखित है |
(१)
पीने के लिए तथा कपड़े धोने व सफाई के लिए |
(२)
विलायक के रूप में |
(३)
भाप के रूप में भाप इंजन चलाने के लिए |
(४)
विधुत उत्पादन में |
(५)
औधोगिक स्तर पर हाइड्रोजन , ऑक्सीजन ,वाटर गैस आदि के निर्माण में |
(६)
पेड़-पौधों तथा फसलो की सिंचाई में |
(७)
अनेक रासायनिक अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक के
रूप में |
(८)
बर्फ के रूप में वस्तुओ को ठंडा रखने तथा
उन्हें सड़ने से बचने के लिए |
म्रदु तथा कठोर
जल
साबुन के साथ
झाग उत्पन्न करने या न करने के आधार पर जल को दो बर्गो में बाँटा जा सकता है_(१)
म्रदु जल तथा (२) कठोर जल |
(१)
म्रदु जल_ वह जल जो साबुन
के साथ शीघता से झाग देता है , म्रदु जल कहलाता है |
(२)
कठोर जल_ वह जल जो साबुन
के साथ देर में तथा बहुत कम झाग देता है , कठोर जल कहलाता है |