Saturday 1 August 2015

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्म नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के समीप लुम्बनी ग्राम में शाक्य छत्रिय कुल के राजा शुद्धोधन के यहाँ हुआ था | इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था | इनकी  माता का नाम महामाया था | जन्म के सातवे दिन ही इनकी माता की म्रत्यु हो गई थी ,अतः उनका पालन पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था , इसलिए वे गौतम के नाम से चर्चित थे | बचपन से ही उनकी गम्भीरता और आध्यात्मिकता के प्रति उनके रुझान को देखकर उनके पिता शुद्धोधन ने १६ बर्ष की आयु में उनका विवाह यशोधरा नामक राजकुमारी से कर दिया | २८ बर्ष की आयु में उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ | सांसारिक दुखो से द्रवित होकर ,दुखो से मुक्ति हेतु २९ बर्ष की आयु में सत्य की खोज के लिए उन्होंने गृह त्यागकर दिया, इस घटना को  बौद्ध धर्म में ,महाभिनि-श्क्रमण कहा गया है | गृह त्याग के पश्चात् सिद्धार्थ लगभग छह बर्ष तक सत्य ज्ञान की खोज में यत्र-तत्र भटकते रहे | इस दौरान सर्वप्रथम वे वैशाली के समीप अलार कलाम ( सं|ख्य दर्शन के आचार्य ) के आश्रम में रहे ,लेकिन उन्हें कोई संतुष्टि प्राप्त नही हुई | छह बर्ष तक  यत्र-तत्र भटकने के पश्चात ३५ बर्ष की आयु में गया (बिहार ) में उरूवेला नामक स्थान पर पीपल ब्रक्ष के नीचे निरंजना नदी ( पुनपुन नदी ) के तट पर वैशाख पूर्णिमा की रात को समाधिस्थ अवस्था में सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त  हुआ ,इसी दिन से वे महात्मा बुद्भ कहलाए | इस घटना के कारण गया को ,बोध गया , के नाम से जाना जाने लगा | उरुवेला (बोधगया) से महात्मा बुद्ध सारनाथ आए | यहाँ पर उन्होंने सर्वप्रथम पांच ब्राहाण सन्यासियो को अपना प्रथम उपदेश दिया ,जिसे बोद्ध साहित्य में ,धर्म चक्र प्रवर्तन, के नाम से जाना जाता है | इसी स्थान पर उन्होंने सर्वप्रथम बोद्ध संघ की  स्थापना भी की |महात्मा बुद्ध ने तपस्स एवं काल्लिक नामक दो शूद्रों को बोद्ध धर्म का सर्वप्रथम अनुयायी बनाया | तत्पश्चात उन्होंने मगध ,कोसल ,वैशाली ,कौशाम्बी और अन्य राज्यों में उपदेश दिए | उन्होंने अपने जीवन काल में सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती में दिए और मगध उनकी शिक्षाओ का प्रमुख प्रचार केंद्र था | उनके अनुयायी शासको में बिम्बिसार (मगध) प्रसेनजित (कोसल) तथा उदयन ( कौशाम्बी) का नाम उल्लेखनीय है| इसके अतिरिक्त उनके शिष्यों में ,उपालि, व ,आनंद , का नाम प्रमुख रूप से  उल्लेखनीय है| महात्मा बुद्ध अपने धर्म प्रचार के अंतिम पडाव में वे हिरन्यावती नदी के तट पर स्थित कुशीनारा पहुचे ,यहाँ पर ८० बर्ष की आयु में ४८३ ई० पू० में उनका देहांत हो गया | इस घटना को बोद्ध परम्परा में , महापरिनिर्वाण , के नाम से जाना जाता है | महापरिनिर्वाण के पश्चात् महात्मा बुद्ध के अस्थि अवशेषों को आठ भागों में बिभाजित कर आठ अलग-अलग स्थानों पर स्तूप निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई |    

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