हमे कपडे क्यों पहनने चाहिए -
कपडे हमारी मूल आवश्यकता है | हम कपडे अपने शरीर को ढकने के लिए पहनते है |
कपडे हमारी धूप ,ठण्ड ,जाड़े , बर्षा और धूल आदि से रक्षा करता है | हम कपड़ो में
,स्मार्ट और हैण्डसम दिखते है | हम कपडे बिभिन्न प्रकार के पहनते है | आदमी कमीज ,
पेण्ट , कार इत्यादी पहनते है | औरते सदी ,ब्लाउज ,सलवार , सूट इत्यादी पहनती है |
बच्चे शार्ट , स्कर्ट , फ्रोक इत्यादी पहनते है हम बिभिन्न मौसम में बिभिन्न प्रकार
के कपडे पहनते है | गर्मी में हम कॉटन , सिलिकेन आदि पहनते है | वे हमे
ठण्डा रखते है | जाड़ो में हम ऊनी कपडे पहनते है | ऊनी कपडे हमे गर्म रखते है | जब
बारिश होती है, तो हम बरसाती पहनते है | वे हमारी बारिश से रक्षा करते है | जब हम
बारिश में बाहर जाते है | तो छाते का भी उपयोग करते है | हमारे देश में बिभिन्न
प्रकार के कपडे पहनने वाले लोग रहते है | वे उनका आसानी से पहन सकते है | हम कॉटन,
कॉटन के पौधों से प्राप्त करते है | किसान कॉटन को अपने खेतो में उगता है | it is
spun into yarn .The weaver , weaves into the yarn . हमे भेड़ से ऊन मिलती है | भेड़
के बाल मुलायम होते है | जिन्हें फ़्लिइस कहते है , The fleece is sheared , cleaned
, spun into yarn .The woolen yarn is then woven into cloth .हम
ऊन को फर से भी प्राप्त कर सकते है | फर जानवरों से प्राप्त करते है | जैसे लोमड़ी ,
मिंक और खरगोश आदि |हम रेशम , रेशम कीट से प्राप्त करते है | यह कीड़ा शेहतूत के पेड़
की पत्तियों को खाता है | कच्चा रेशम कोकून से बनता है | बरसाती मुख्यता प्लास्टिक
से बनाती है | हम रबर को रबर के पेड़ से प्राप्त करते है | रबर के पेड़ की दूध की मात्रा को लेटेक्स
कहते है लेटेक्स रबर में परिवर्तन होता है | हमे साफ- सुथरा कपडे पहनने चाहिए | हमे
उन्हें रोज धोना चाहिए |
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