सौर
बिकिरण के सम्बन्ध में वायुमंडल के कार्य की तुलना ,ग्रीन हाउस , या ग्लास हाउस के
कार्य से की जा सकती हैं | ग्रीन हाउस या ग्लास हाउस
सूर्यातप को अन्दर तो आने देता है लेकिन ताप को इतनी आसानी से बाहर निकलने नही देता
| ठीक इसी प्रकार वायुमंडल की बिभिन्न परतो में से होकर सुर्यातप आसानी से प्रवेश
तो कर जाता है ,परन्तु वायुमंडल में बिधमान कार्बन डाइ ऑक्साइड एवं जलवाष्प जैसी गैसे इसे आसानी से बाहर निकलने नही देती हैं
फलस्वरुप किसी भी स्थान के दिन और रात के तापमान में अत्यधिक अंतर नही होता है |
वायुमंडल का यह हरित गृह प्रभाव प्रथ्वी पर १५ ०c का औसत तापमान बनाए रखता है |
ग्रीन हाउस या ग्लास हाउस की आवश्यकता कृषि उत्पादन के लिए उन स्थानों पर
होती है जहाँ कृषि की द्र्स्टी से तापमान न्यून रहते है | ग्रीन हाउस काँच का बना
हुआ एक घर होता है लेकिन शीघ्रता से पार्थिव बिकिरण नही होने देता | इसलिए ग्रीन
हाउस के अन्दर तापमान अधिक हो जाने पर फलों ,सव्जियो और फूलो को आसानी से उगाया जा सकता है | ग्रीन हाउस तथा वायुमंडल के कार्यो में साम्यता होने के कारण ही
वायुमंडल को प्रथ्वी का ग्रीन हाउस कहते है तथा इसके प्रभाव को ,
ग्रीन हाउस प्रभाव , कहते हैं|
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