Saturday 1 August 2015

लोकमान्य तिलक

बाल गंगाघर तिलक ( १८५६ -१९२० ई० ) भारत में उग्र रास्ट्रबाद के जन्मदाता और प्रतिभाशाली ,कर्तव्यनिष्ठ तथा दढप्रतिज्ञ देशभक्त थे | स्वराज्य शब्द की प्रतिस्थापना करने वाले तथा भारतीयों में रास्ट्रीयता की भावना भरने वाले नेता तिलक जी ही थे ,जिन्हें आज सारा देश आदरपूर्वक लोकमान्य तिलक के नाम से याद करता है | भारतीयों में नवजागरण हेतू मराठा और केसरी नामक समाचार-पत्रों को प्रारम्भ करने का श्रेय  इन्ही को दिया जाता है | इनका यह कथन कि ‘’ स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर रहूँगा ‘’ आज भी जनमानस को देश-प्रेम की प्रेरणा देता है | तिलक जी भारतीय राष्ट्रबाद के जनक तथा भारत माता के मस्तक के तिलक थे | वे भारतीयो में देश प्रेम की ज्योति जलाने वाले पहले व्यक्ति थे जिन्होंने स्वराज्य की प्राप्ति को ,अपना जन्मसिद्ध अधिकार घोषित किया | इनके जीवन का एक महत्वपूर्ण प्रेरक प्रसंग निम्न प्रकार है __यह प्रसंग तिलक जी के बिधाथ्री जीवन की एक घटना से सम्बंधित है | एक दिन उनके इतिहास के अध्यापक कक्षा में बिधाथ्रीयो को कोई पाठ समझा रहे थे अचानक उनकी द्ररस्टी फर्श पर पड़ी | वहां मूंगफली के छिलके बिखरे पड़े थे | अध्यापक क्रोध से आग बबूला हो उठे | उन्होंने किसी भी बिधार्थी से कुछ नही पुचा वरन तुरंत एक छड़ी उठाई और एक सिरे से सभी बिधार्थीयो को पीटना शुरू कर दिया |जब अध्यापक तिलकजी के पास पहुचे तो उन्होंने निर्भीकता के साथ कहा मुझे मत मारिए | जब मैने कोई गलती नही की तो मै सजा क्यों भुगतू ? ‘’ अध्यापक का हाथ तुरंत रुक गया और वे तिलक को पीटे विना ही वापस लौट गए |


No comments:

Post a Comment