Saturday 1 August 2015

जेम्स वाट

प्राचीन काल में आदमी एक स्थान से दूसरे स्थान तक पैदल ,बैलगाड़ी अथवा घोडा तांगा दुआरा जाते थे |सड़के बहुत ख़राब थीं | थोड़ी दूरी तक जाने मे भी घंटो लग जाते थे | किन्तु बर्तमान मे ऐसा नहीं है | क्या तुम दिल्ली ,कोलकाता अथवा मुंबई पैदल या बैलगाड़ी से जाते हो ? नहीं ,तुम नहीं जाते | अब तो रेलगाड़िया है |लोगो को बहुत लम्बे सफ़र तय कराती हैं | थोड़े  ही घंटो मे और बड़ी तीब्र गति से चलती हैं | रेलगाड़ियां भाप की शक्ति , डीजल आयल अथवा बिजली द्वारा चलाई जाती हैं | क्या तुम जानते हो सर्वप्रथम भाप के इंजन को किसने बनाया ? शायद तुम नहीं जानते |एक अंग्रेज ने सर्बप्रथम भाप से चालित इंजन बनाया | उसका नाम जेम्स वाट था | वह १९ जनवरी ,१७३६ ई० मे स्कॉटलैंड मे पैदा हुआ | उसके पिता एक बड़ई थे | जेम्स पड़ने लिखने मे अच्छा नहीं था | उसे पुस्तके नहीं भाती थी | बल्कि उसे बड़ईगिरी और कला मे रूचि थी | उसके पिता ने उसे दुकान के एक कोने मे लुहार की एक भट्टी तथा बैठने के लिए एक बेंच दे दिया | वहां उसने कठोर काम किया | उसकी माता एक दयालु स्त्री थी | उसने उसके काम में उसकी मदद की | एक बार वह रसोईघर  मे बैठा मे हुआ था | वहा उसने अंगीठी के ऊपर एक केतली देखी | उसमे पानी उबल रहा था और उससे भाप बाहर आ रही थीं | वह उसे देख रहा था | केतली का ढक्क्न बार-बार ऊपर उठता और नीचे गिरता | वह उत्सुकता मे पड़ गया और उसने बार-बार देखा | तब उस समय रसोईघर मे उसकी चाची आ गई | वह उस पर बड़ी नाराज हुए और बोली , तुम बड़े निक्कमे लड़के हो | तुम  यहाँ क्या कर रहे हो ? जाओ और रीड करो | जेम्स ने उसकी कुछ नहीं सुनी | वह अंगीठी पर रखी केतली को ही देखता रहा | उसने एक कोयले के टुकड़े को ठक्क्न पर रखा | किन्तु जैसे ही भाप बाहर निकलती ,ढक्क्न ऊपर उठता और नीचे गिरता | उसने प्रसंता के कारण चीख लगाई , आंटी, देखो |  भाप ढक्कन को ऊपर ठकेल रही हैं | एक बड़ा बिचार उसके दिमाग में आया | उसने अपने मन कहा , भाप मे बड़ी शक्ति हैं |  उसने और अधिक प्रयोग किये और अपना अधिक समय वर्कशॉप मे ब्यतीत किया | इस तरह उसने पहला भाप का इंजन बनाया| सबसे पहले लोगो ने इसे कोयले की खानों से कोयला और पानी खींचने मे प्रयोग किया | इसने रेलगाड़ियो को नहीं खीचा | इसके पश्चात जाज्र स्टीफेन्सन ने भाप के इंजन मे डिब्बे जोड़ दिए और यात्रियो को ले गया | प्रारभ मे इसमे केवल डो डिब्बे थे | लोगो ने इंजन को लोहे का घोडा कहा | आज हम दर्जनों डिब्बों वाली रेलगाडियां रखते हैं, वे टनो माल और सैकड़ों यात्रियो को ले जाती | हमे जेम्स वाट और जोर्ज स्टीफेन्सन को मानब जाती की इस बड़ी सेवा के लिए धन्यवाद देना चाहिए |     

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