चाय
इतिहास
चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की
पत्तियों से बनता है। सबसे पहले सन् १८१५ में कुछ अंग्रेज़ यात्रियों का ध्यान असम में उगने
वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय क़बाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे।
भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने १८३४ में
चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के
लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद १८३५ में असम में चाय के बाग़ लगाए गए । हमारे दैनिक प्रयोग में आने
वाली चाय एक चौड़ी पत्ती वाली सदाबहार झाड़ी है | चाय के उत्पादन में भारत विश्व में अग्रणी है और यहाँ से सबसे अधिक चाय बाहर
भेजी जाती है | चाय की खेती के लिए
सामान्यतः उष्ण-आद्र जलवायु आवश्यक होती है | इसकी खेती के लिए लगभग २५ ०
सेग्रे का तापमान ३० ० सेग्रे का तापमान तथा १५० सेमी से अधिक बर्षा होनी चाहिए | चाय की झाड़ीयों की जड़ों में पानी इकट्ठा नही होना चाहिए | इसलिए चाय के बागान पहाड़ी ढालों पर लगाये जाते है | चाय की पत्तीयों को
चुनने , सूखाने और डिब्बों में भरने के लिए काफी सस्ते मजदूरों की आवश्यकता होती है | दशिणी भारत में नीलगिरी ,अन्नामलाई
की पहाडीयों में चाय पैदा की जाती है | भारत की चाय विश्व
में उच्च कोटि की मानी जाती है | ग्रेट ब्रिटेन हमारी
चाय का मुख्य ग्राहक है| अन्य ग्राहक फ्रांस ,कनाडा ,संयुक्त राज्य अमेरिका ,ऑस्ट्रेलिया ,न्यूजीलैंड आदि है | चाय के निर्यात से प्रति बर्ष भारत को काफी विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है |
उत्पादन
वर्ष २००३ तक पूरे विश्व में चाय का उत्पादन ३.१५ मिलियन टन वार्षिक था।
प्रमुख उत्पादक देशों में भारत, तथा उसके बाद चीन का स्थान था | अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में श्रीलंका एवं कीनिया इसके बाद महत्त्वपूर्ण स्थान
रखते हैं। चीन ही अभी एकमात्र
ऐसा देश है जो लगभग हर तरह की चाय का बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन करता है।
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