ग्लोबल वार्मिंग अर्थात्
विश्वव्यापी तापक्रम वृद्धि से तात्पर्य विश्व के औसत तापक्रम
में आई वृद्धि से है।
आज पूरे विश्व के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है । ग्लोबल
वार्मिंग के अंतर्गत अनावश्यक
तापक्रम वृद्धि से उत्पन्न विश्वव्यापी खतरों को चिन्हित
किया गया है । विश्व के अधिकांश देशों ने ग्लोबल वार्मिंग के
खतरे को भाँप लिया है ।
दिन प्रतिदिन पृथ्वी गर्म होती जा रही है। ऐसा माना जाता है
कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए
सर्वाधिक विकसित एवं विकासशील देश जैसे संयुक्त राष्ट्र
अमेरिका ,रूस,
चीन, यूरोपीय
देश एवं भारत
जैसे देश इसके अंतर्गत आते हैं।परमाण्वीय तथा वैज्ञानिक प्रयोगों, लगातार
बढ़ते प्रदूषणों
आदि के कारण भूमण्डलीय तापक्रम तेजी से बढ़ रहा है। वाहनों तथा कल
-कारखानों में अप्रत्याशित वृद्धि ने तो वायु प्रदुषण को अनियंत्रित कर दिया है ।
इससे
वायुमंडल में कार्बन डाई-ऑक्साइड एवं सल्फर डाई-ऑक्साइड जैसे विषाक्त गैसों की
मात्रा
में लगातार वृद्धि तथा पराबैंगनी किरणों
का अंश पृथ्वी तक पहुँचने लगता है और हम
त्वचा संबंधी अनेक रोगों से ग्रसित होने लगे
हैं। इससे ग्लोबल वार्मिंग ने विकराल रूप ले
लिया है । पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि के कारण धुर्वो पर जमी बर्फ लगातार पिघल
रही है जिससे ग्लेशियर पिघल रहे है | इससे महासागरों के जलस्तर में लगातार
वृद्धि हो रही है । हमें वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना चाहिए। तथा हर उत्सव पर
वृक्षारोपण कर सके |इस प्रकारहमे ग्लोबल वार्मिंग के दैत्य को सदा सर्वदा के लिए
समाप्त किया जा सकता है ।
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