Tuesday 24 November 2015

स्वामी विवेकानंद


स्वामी विवेकानंद का प्रारम्भिक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था | उनका जन्म १२ जनवरी , १८६३ ई 
को कोलकाता में एक प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार में हुआ था | छात्र जीवन में वे पश्चिमी विचार-धारा के कट्टर समर्थक थे | भारतीय संस्कृति के अग्रदूत रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य में उनकी विचारधारा बदल गई , वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे की सत्य या ईश्वर को जानने का सच्चा मार्ग अनुरागपूर्ण साधना का मार्ग ही है | अपनी इसी विचारधारा के कारण वे रामकृष्ण के प्रिय शिष्य बन गए | १८९३ ई. वे शिकांगो में सर्वधर्म सम्मेलन में भाग लेने गए , वहाँ अपनी ओजस्वी
वाणी से सिद्धांतो को व्यक्त करते हुए उपस्थित सभी धर्माबिलाम्बियो को प्रभाबित किया |
उन्होंने कहा था_ हिन्दू धर्म अति महान है क्यूंकि यह सभी धर्मो की अच्छाईयो को समान रूप
से स्वीकार करता है | उनके विचारो की उच्चता , पवित्रता और दलित वर्गो  के प्रति प्रेम की भावना देखकर सभी अमेरिकन मन्त्र-मुग्ध हो गए | भारत वापस आकर उन्होने सम्पूर्ण देश के
कोने-कोने में अपने विचारो के माध्यम से शिक्षित तथा अशिक्षित गरीब तथा अमीर , ऊँच-नीच
व  सभी वर्गो के लोगो को प्रभावित किया | १४ जुलाई , १९०२ ई. को स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया | विवेकानन्द ने १८९७ ई. में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी | इसके माध्यम से उन्होने धार्मिक एवं सामाजिक सुधार के आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान किया |


रामकृष्ण मिशन के कार्य
रामकृष्ण मिशन में मानव जाति की सराहनीय सेवा की | देश व विदेश में भारतीय संस्कृति
का प्रचार किया | शिक्षा के प्रचार-प्रचार में योगदान किया | मानवता की सेवा , विश्व को अध्यात्मवाद का सन्देश तथा हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा करना इस मिशन का लक्ष्य है | 

रामकृष्ण मिशन के चार सिद्धांत
रामकृष्ण मिशन के प्रमुख सिद्धांत निम्नाकित है |
(१)                    ईश्वर अजर व अमर है |
(२)                    व्यक्ति चरित्रवान बने |
(३)                    वेदान्त व उपनिषद सच्चे ग्रन्थ है |
(४)                    आत्मा ईश्वर का रूप है |
(५)                    भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है |



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