Thursday 19 November 2015

कृषि


बड़ती जनसंख्या की बढती हुई आवश्यकता की पूर्ति के लिए कृषि भूमि का विस्तार सबसे आसान विकल्प रहा हैकृषि भूमि का यह विस्तार वनों ,घास स्थलों ,नदी-घाटियों ,समुद्री तटों ,आदि पर सर्वाधिक हुआ है | इससे जीवों के प्राकृतिक आवास स्थलों ,का विनाश हुआ है और जैव विविधता में कमी आई है | कृषि में रासायनिक उर्वरको के प्रयोग से मिट्टी में विधमान पोषक तत्वों का सन्तुलन बिगड़ गया है | जिससे भूमि की उत्पादकता में कमी आई है | ये रसायन कीटाणुओं के साथ उन्होंने खाने वाले प्राकतिक परभक्षक कीड़ों का भी नाश कर देते है | फिर नई किस्म के कीटाणुओं का आक्रमण होता है जिन्हें पहले नष्ट हो जाने वाले कीड़े खा जाया करते थे |इस दौड़ में फल ,सव्जियो ,धान ,आदि में कैंसर उत्पन्न करने वाले कीटनाशी रसायन जव्त हो जाते हैं और इसके प्रभावस्वरुप विश्व में पेट ,गले एवं रक्त के कैंसर रोगियों की निरंतर ब्रधि हो रही है | जैवनाशी रसायनों के अत्यधिक उपयोग ने परिस्थितिकी तंत्र को विशैला बना दिया है |

भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत एक क्रषि प्रधान देश है | यहाँ की ५८.२ प्रतिशत जनसँख्या कृषि तथा क्रषि सम्बन्धित कार्यो में संलग्न है | चीन को छोड़कर भारत ही विश्व का एक ऐसा देश है | जहाँ जनसँख्या का इतना बड़ा भाग क्रषि से अपनी आजीविका प्राप्त करता है | कृषि से यहाँ की अधिकांश जनसँख्या को भोजन , पशुओ , को चारा तथा सूती वस्त्र , चीनी , पटसन , चाय ,कहवा आदि क्रषि आधारित उधोगो को कच्चा माल प्राप्त होता है | क्रषि उत्पादों का निर्यात करके विदेशी मुद्रा भी कमाई जाती है | कुल राष्ट्रीय आय में क्रषि का योगदान २४% प्रतिशत है | हमारा औधोगिक ढांचा क्रषि के मजबूत आधार पर ही टिका हुआ है | इसलिए क्रषि भारतीय अर्थव्यवस्था की मूल आधार है |

क्रषि तथा उधोग_ भारत जैसे अर्द्धविकसित देशो में आर्थिक विकास की प्रारम्भिक अवस्था में क्रषि का औधोगिक विकास में कई कारणों से महत्वपूर्ण योगदान होता है |
जैसे

(१) उधोगो को कच्चा माल_ कपास , जूट , गन्ना , तिलहन , रबड़ , अनाज ,आदि क्रषि क्षेत्र से ही प्राप्त होता है |

(२) क्रषि में उत्पादकता बढ़ने के फलस्वरूप क्रषि क्षेत्र में श्रमिक की मांग कम हो जायगी | ये श्रमिक उधोगो में काम कर सकेंगे | इसलिए ओधोगिक विकास के लिए आवश्यक श्रमिक क्रषि क्षेत्र से ही प्राप्त हो सकेंगे |

(३) ओधोगिक विकास के कारण लोगो की आय बढने पर अनाज की मांग में ब्रधि होती है | इसलिए क्रषि का विकास होना आवश्यक है |

(४) कई कुटीर व लघु उधोगो , जैसे हथकरधा , बुनाई , तेल निकालना , रस्सी बनाना , इत्यादी अपने कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर करते है |


भारतीय क्रषि की प्रमुख बिशेषताये_
भारत एक क्रषि प्रधान देश है प्राचीन काल से ही यहाँ पर क्रषि का विशेष महत्व रहा है | क्रषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है | भारतीय संस्क्रति की जड़े भूमि में ही निहित है | भारतीय क्रषि की प्रमुख विशेषताए निम्नलिखित है |
(१)                            जनसंख्या की निर्भरता
कृषि भारत के निवासियों की जीविका का मुख्य साधन है | देश की ५८.२ प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष रूप से क्रषि कार्यो पर निर्भर है |
(२)                            राष्ट्रीय आय में योगदान
वर्तमान में राष्ट्रीय आय का लगभग २४ प्रतिशत भाग क्रषि से ही प्राप्त आय का लगभग २४ प्रतिशत भाग क्रषि से ही प्राप्त होती है |
(३)                            फसलो की विविधता
भारत में उष्ण , उपोष्ण तथा शीतोष्ण तीनो ही कटिबन्ध की फसले उगाई जाती है |
(४)                            खाधान फसलों की प्रधानता
कुल कर्षित भूमि के ६६ प्रतिशत भाग पर खाधान फसलें , २४ प्रतिशत भाग पर व्यापारिक फसलें तथा शेष भाग पर अन्य फसले उगाई जाती है |



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