Thursday 19 November 2015

जेम्स वाट


जीवन परिचय
एक अंग्रेज ने सर्बप्रथम भाप से चालित इंजन बनाया | उसका नाम जेम्स वाट था | वह १९ जनवरी  १७३६ ई० मे स्कॉटलैंड मे पैदा हुआ | उसके पिता एक बड़ई थे | जेम्स पढने लिखने मे अच्छा नहीं था | उसे पुस्तके नहीं भाती थी | बल्कि उसे बड़ईगिरी और कला मे रूचि थी | उसके पिता ने उसे दुकान के एक कोने मे लुहार की एक भट्टी तथा बैठने के लिए एक बेंच दे दिया | वहां उसने कठोर काम किया | उसकी माता एक दयालु स्त्री थी | उसने उसके काम में उसकी मदद की | प्राचीन काल में आदमी एक स्थान से दूसरे स्थान तक पैदल ,बैलगाड़ी अथवा घोडा तांगा द्वारा  जाते थे | किन्तु बर्तमान मे ऐसा नहीं है | एक बार वह रसोईघर  मे बैठा हुआ था | वहां उसने अंगीठी के ऊपर एक केतली देखी | उसमे पानी उबल रहा था और उससे भाप बाहर आ रही थी | वह उसे देख रहा था | केतली का ढक्क्न बार-बार ऊपर उठता और नीचे गिरता | वह उत्सुकता मे पड़ गया और उसने बार-बार देखा | तब उस समय रसोईघर मे उसकी चाची आ गई | वह उस पर बड़ी नाराज हुई  और बोली तुम बड़े निकम्मे लड़के हो | तुम यहाँ क्या कर रहे हो  जाओ और पढ़ो | जेम्स ने उसकी कुछ नहीं सुनी | वह अंगीठी पर रखी केतली को ही देखता रहा | उसने एक कोयले के टुकड़े को ढक्क्न पर रखा | किन्तु जैसे ही भाप बाहर निकलती ढक्क्न ऊपर उठता और नीचे गिरता | उसने प्रसंता के कारण चीख लगाई  आंटी देखो | भाप ढक्कन को ऊपर ढकेल रही है | एक बड़ा बिचार उसके दिमाग में आया | उसने अपने मन कहा  भाप मे बड़ी शक्ति होती है | उसने और अधिक प्रयोग किये और अपना अधिक समय काम मे ब्यतीत किया | इस तरह उसने पहला भाप का इंजन बनाया| सबसे पहले लोगो ने इसे कोयले की खानो से कोयला और पानी खींचने मे प्रयोग किया | इसने रेलगाड़ियो को नही खीचा | इसके पश्चात जाज्र स्टीफेन्सन ने भाप के इंजन मे डिब्बे जोड़ दिए और यात्रियो को ले गया | प्रारम्भ  मे इसमे केवल दो  डिब्बे थे | लोगो ने इंजन को लोहे का घोडा  कहा | आज हम दर्जनों डिब्बों वाली रेलगाडियो को देखते  है वे टनो माल और सैकड़ों यात्रियो को ले जाती |



No comments:

Post a Comment