जीवन परिचय
एक अंग्रेज ने सर्बप्रथम भाप से चालित
इंजन बनाया | उसका नाम जेम्स वाट था | वह १९ जनवरी
१७३६ ई० मे स्कॉटलैंड मे पैदा हुआ | उसके पिता एक बड़ई
थे | जेम्स पढने लिखने मे
अच्छा नहीं था | उसे पुस्तके नहीं भाती थी | बल्कि उसे बड़ईगिरी और कला मे रूचि थी | उसके पिता ने उसे
दुकान के एक कोने मे लुहार की एक भट्टी तथा बैठने के
लिए एक बेंच दे दिया | वहां उसने कठोर
काम किया | उसकी माता एक दयालु स्त्री
थी | उसने उसके काम में उसकी मदद की | प्राचीन काल में आदमी एक स्थान से दूसरे स्थान
तक पैदल ,बैलगाड़ी अथवा घोडा तांगा द्वारा
जाते थे |
किन्तु बर्तमान मे ऐसा नहीं है | एक बार वह रसोईघर मे बैठा हुआ था | वहां उसने अंगीठी के ऊपर एक केतली देखी | उसमे पानी उबल रहा
था और उससे भाप बाहर आ रही थी | वह उसे देख रहा था | केतली का ढक्क्न
बार-बार ऊपर उठता और नीचे गिरता | वह उत्सुकता मे पड़ गया और उसने बार-बार देखा | तब उस समय रसोईघर मे उसकी चाची आ गई | वह उस पर बड़ी नाराज हुई और बोली तुम बड़े निकम्मे लड़के हो | तुम यहाँ क्या कर रहे हो जाओ और पढ़ो | जेम्स
ने उसकी कुछ नहीं सुनी | वह अंगीठी पर रखी केतली को ही देखता रहा | उसने एक कोयले के टुकड़े को ढक्क्न पर रखा | किन्तु जैसे ही
भाप बाहर निकलती ढक्क्न ऊपर उठता और नीचे गिरता |
उसने प्रसंता के कारण चीख लगाई आंटी देखो | भाप
ढक्कन को ऊपर ढकेल रही है | एक
बड़ा बिचार उसके दिमाग में आया | उसने अपने मन कहा भाप मे
बड़ी शक्ति होती है | उसने
और अधिक प्रयोग किये और अपना अधिक समय काम
मे ब्यतीत किया | इस तरह उसने पहला भाप का इंजन बनाया| सबसे पहले
लोगो ने इसे कोयले की खानो से कोयला और पानी खींचने मे प्रयोग किया | इसने रेलगाड़ियो को नही खीचा | इसके पश्चात जाज्र स्टीफेन्सन ने भाप के इंजन
मे डिब्बे जोड़ दिए और यात्रियो को ले गया | प्रारम्भ मे इसमे केवल दो डिब्बे थे | लोगो ने इंजन को लोहे का घोडा कहा | आज हम दर्जनों
डिब्बों वाली रेलगाडियो को देखते है वे टनो माल और
सैकड़ों यात्रियो को ले जाती |
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