ट्रिब्यूनल ने कहा ,इस तरह की टिपण्णी कानून के शासन पर हमला
नई दिल्ली नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने श्रीश्री रविशंकर के इस बयान पर आपति जताई है कि वह पांच करोड़ रुपये जुर्माना देने की बजाय जेल जाना पसंद करेंगे | ट्रिब्यूनल ने कहा है कि इस तरह की टिपण्णी कानून के शासन पर हमला है | यदि कोई ट्रिब्यूनल की छवी को नुकसान पहुंचाएगा तो उस पर कानून के अनुसार कार्यवाई होगी | हालाँकि एनजीटी ने रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की याचिका पर विचार करते हुए उसे रुपये जमा करने के लिए और समय दे दिया है | मामले की अगली सुनवाई चार अप्रैल को होगी |आर्ट ऑफ लिविंग ने एनजीटी में याचिका दायर की थी कि वह एक चैरितिवल संस्था है | उसके लिए इतने कम समय में पांच करोड़ रुपये का इंतजाम करना बहुत मुश्किल है | इस पर एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली पीठ ने संस्था को राहत देते हुए कहा की उसे २५ लाख रुपये तत्काल जमा करने होंगे | बाकि के ४.७५ करोड़ जमा करने के लिए पीठ ने तीन हफ्ते का समय दिया है | ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया कि अगर संस्था २५ लाख रुपये नही जमा करती है तो उसे केंद्र की तरफ से मिले २.५ करोड़ रुपये जब्त कर लिए जाएंगे | पीठ ने यह भी कहा कि पांच करोड़ रुपये को पेनाल्टी नही बल्कि पर्यावरण क्षतिपूर्ति समझा जाना चाहिये | सुनवाई के
दौरान संस्था की तरफ से कहा गया कि जुर्माना नही अदा करने का बयान इस सन्दर्भ में दिया गया था कि चैरितिवल ट्रस्ट होने के कारण उसके लिए रुपये चुकाने मुश्किल होंगे | पीठ ने कहा कि कानून का पालन करना सभी का कर्तव्य है |
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